Rajnath Singh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बार-बार कर्ज मांगने वाले पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा पाकिस्तान जहां खड़ा होता है, वहीं से मांगने वालों की लाइन शुरू हो जाती है।” वहीं, भारत की स्थिति की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत उन देशों में शामिल है जो IMF को फंड देते हैं, ताकि गरीब देशों को सहायता दी जा सके।
राजनाथ सिंह श्रीनगर के बादामी बाग छावनी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे, जहां वे ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता के बाद पहली बार पहुंचे थे। उनके साथ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे। इस अवसर पर उन्होंने जवानों से बातचीत की और सेना की वीरता की सराहना की।
ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन इस बात का प्रतीक है कि आतंकी संगठन अब कहीं भी महफूज नहीं हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “अब आतंकी संगठन और उनके आका भारतीय सेनाओं के निशाने पर हैं। हमारी सेनाओं का निशाना अचूक है और जब वे वार करते हैं, तो गिनती दुश्मन के लिए छोड़ देते हैं।”
“हमने हमेशा शांति को प्राथमिकता दी”
राजनाथ सिंह ने भारत की रक्षा नीति की मूल भावना को दोहराते हुए कहा कि भारत ने हमेशा शांति और संयम को प्राथमिकता दी है, लेकिन जब देश की संप्रभुता पर खतरा होता है, तो जवाब देना अनिवार्य हो जाता है। उन्होंने कहा हम युद्ध के समर्थक नहीं हैं, लेकिन जब वक्त आता है, तो भारत पीछे नहीं हटता।” उन्होंने भारतीय सेनाओं को आधुनिक तकनीक, हथियार और संसाधन देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
पाकिस्तान की परमाणु धमकियों पर जवाब
पाकिस्तान की परमाणु धमकियों पर भी राजनाथ सिंह ने दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा, “दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान कैसे बार-बार भारत को एटम बम की धमकी देता है।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे गैर जिम्मेदार और बीमार देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? रक्षा मंत्री ने मांग की कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लिया जाना चाहिए।
भारत अब ‘दाता’ की भूमिका में
राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने भारत की बदलती वैश्विक भूमिका पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि आज भारत IMF से कर्ज नहीं लेता, बल्कि उसे वित्तीय सहायता देता है, ताकि जरूरतमंद देशों की मदद हो सके। इसके विपरीत, पाकिस्तान की हालत यह हो चुकी है कि वह विश्व बैंक और IMF की मेहरबानी पर ही टिका हुआ है।
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