Ghaziabad: गाजियाबाद के साहिबाबाद थानाक्षेत्र के शहीद नगर में 1993 में हुए चर्चित राजू अपहरण कांड में पुलिस ने गुनाहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए मामले को फिर से खोलने का फैसला किया है। एसीपी साहिबाबाद रजनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस मामले को रीओपन करने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
कोर्ट से अनुमति के बाद फिर शुरू होगी जांच
एसीपी उपाध्याय ने बताया कि जब पुलिस को लंबे समय तक राजू के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी, तब मामले में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) दाखिल कर इसे बंद कर दिया गया था। लेकिन अब राजू के वापस लौटने के बाद पुलिस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जिन लोगों ने उसे इतने सालों तक परिवार से दूर रखा, उन्हें कानून के तहत सजा मिले।
पुराने दस्तावेज खंगालने में आएंगी चुनौतियां
मामले को फिर से खोलने के लिए पुराने दस्तावेज सबसे बड़ी चुनौती बन सकते हैं। पुलिस का कहना है कि बंद हुए मामलों के दस्तावेज 12 साल बाद नष्ट कर दिए जाते हैं। ऐसे में 1993 के मामले के कागजात खोजना मुश्किल होगा। इसके बावजूद पुलिस का प्रयास है कि पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए।
क्या है राजू अपहरण कांड?
1993 में शहीद नगर के राजू का अपहरण तब हुआ था जब वह अपनी बहन के साथ स्कूल से लौट रहा था। उस समय उसकी उम्र मात्र सात साल थी। जांच में पता चला कि राजू को अपहरण के बाद राजस्थान के जैसलमेर ले जाया गया, जहां उसे बंधक बनाकर भेड़-बकरियां चराने पर मजबूर किया गया। राजू को रोजाना केवल एक रोटी दी जाती थी और मारा-पीटा भी जाता था।
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कैसे लौटा राजू अपने परिवार के पास
दिल्ली के एक व्यापारी की मदद से राजू जैसलमेर से दिल्ली आया और 22 नवंबर को किसी तरह भटकता हुआ खोड़ा थाने पहुंचा। पुलिस ने उसकी मदद की और तीन दिन पहले उसे उसके परिवार के पास शहीद नगर पहुंचाया गया।