Noida: नोएडा में किसानों का आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। किसान ना तो बंटे हैं और ना ही पीछे हटने को तैयार हैं। आगामी सात दिनों तक किसान नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर अपना ठिकाना बनाएंगे। यहीं पर सुबह की चाय और रात का खाना होगा। महिलाओं द्वारा चूल्हा जलाकर भोजन तैयार किया जाएगा। किसानों का कहना है कि सात दिनों तक यहां से आंदोलन जारी रहेगा, इसके बाद प्रशासन और शासन के खिलाफ आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
“जुड़ेंगे तो जीतेंगे” और “बंटेंगे तो कटेंगे” का पालन
किसानों ने हाल ही में राजनीतिक पार्टी द्वारा दिए गए नारे “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” और “बंटेंगे तो कटेंगे” को अपनी रणनीति का हिस्सा बना लिया है। किसानों का कहना है कि उनका संघर्ष सामूहिक है और इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। किसानों ने साफ किया कि वे न पीछे हटेंगे और न ही अलग-अलग होंगे।
दिल्ली कूच की तैयारी
इस आंदोलन के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार दिल्ली में बैठी है, तो समाधान भी दिल्ली से ही निकलेगा। क्या किसान अपने अधिकारों की लड़ाई सकरा (बिहार) जैसे छोटे जिलों में जाकर लड़ेंगे? सभी किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में एक मंच पर हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के किसान भी 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे। नोएडा बॉर्डर पर किसानों को रोकने की कोशिशों के बावजूद आंदोलन जारी रहेगा।
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किसानों की मांगें
गौतमबुद्ध नगर के किसानों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- गोरखपुर की तरह हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण में चार गुना मुआवजा।
- जिले में पिछले 10 वर्षों से सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया है, उसे तुरंत लागू किया जाए।
- नए भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ।
- 10% विकसित भूखंड और हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू करना।
आंदोलन की अगली रणनीति
किसानों ने स्पष्ट किया कि अगर अगले सात दिनों में समाधान नहीं निकला, तो वे दिल्ली कूच करेंगे। उनका कहना है कि यह लड़ाई अब अंतिम सांस तक लड़ी जाएगी। किसानों ने बताया कि आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशों के बावजूद वे अपने अधिकारों के लिए डटे रहेंगे