भारत में महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए 2013 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH) पारित किया गया था। यह कानून महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्देश देता है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस कानून के प्रभावी लागू नहीं होने पर चिंता जताई है और इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
POSH Act क्या है?
POSH एक्ट का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है, जहां वे बिना किसी भय के अपने कार्यों को अंजाम दे सकें। इस कानून के तहत हर कार्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य किया गया है, जो किसी भी महिला कर्मचारी द्वारा उठाए गए यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई और जांच करेगी। इस कानून के तहत यदि किसी कार्यालय में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) नहीं है, तो महिला कर्मचारियों को जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई लोकल शिकायत समिति (LCC) में शिकायत करने का अधिकार है। इस प्रकार, POSH एक्ट महिलाओं के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जिससे वे कार्यस्थल पर उत्पीड़न से बचाव के लिए कदम उठा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने POSH Act के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी की कि इस कानून को लागू हुए दस साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन अब भी इसके प्रावधानों को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।
कोर्ट ने कहा, “मैं दिल्ली से नहीं हूँ। कर्नाटक से दिल्ली तक की यात्रा ट्रेन से करती रही हूँ। मुझे पता है कि हर जगह क्या स्थिति है। इस कानून को पूरे देश में लागू करना ही होगा।”
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश
- 31 दिसंबर तक अधिकारी नियुक्ति: सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे 31 दिसंबर 2024 तक हर जिले में POSH से संबंधित मामलों को देखने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें।
- LCC का गठन: जिलास्तरीय अधिकारी 31 जनवरी 2025 तक लोकल कम्प्लेंट कमेटी (LCC) का गठन करेंगे, ताकि महिला कर्मचारियों की शिकायतों को शीघ्र और प्रभावी ढंग से निपटाया जा सके।
- तहसील स्तर पर नोडल अधिकारी: हर तहसील स्तर पर भी नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि POSH से जुड़े मामलों को सही तरीके से संभाला जा सके।
- शीबॉक्स पोर्टल पर जानकारी: सभी नोडल अधिकारियों और LCC का विवरण शीबॉक्स पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, ताकि सार्वजनिक रूप से इनकी उपलब्धता और कार्यक्षमता सुनिश्चित की जा सके।
- ICC का गठन और निगरानी: जिलाधिकारी (डीएम) सरकारी और निजी संस्थानों में POSH एक्ट की धारा 26 के तहत आंतरिक शिकायत समितियों (ICC) के गठन और उनकी कार्यप्रणाली की निगरानी करेंगे।
- राज्य स्तर पर शीबॉक्स पोर्टल: राज्य सरकारों को स्थानीय शीबॉक्स पोर्टल बनाने का निर्देश दिया गया है, जहां महिलाएं अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें और उन्हें LCC और ICC के पास भेजा जा सके।
- अनिवार्य ICC का गठन: हर सरकारी दफ्तर में अनिवार्य रूप से आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन किया जाएगा, जिससे यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।