Noida : गौतमबुद्ध नगर में सोमवार को किसानों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर ‘दिल्ली कूच’ किया। यह आंदोलन किसानों के अधिकारों की रक्षा और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए था। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से इस पर पहला बयान आया, जिसमें दोनों ही पक्षों ने अपनी अपनी स्थिति को स्पष्ट किया।
चिराग पासवान का बयान
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने किसानों के आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘गलत’ ठहराया। उनका कहना था कि सरकार पूरी तरह से किसानों की बात सुनने और उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “बार-बार इस तरह के मार्च और आंदोलन करना उचित नहीं है। पिछली बार जिन कानूनों पर किसानों को आपत्ति थी, सरकार ने बिना किसी शर्त के उन्हें वापस लिया था, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार किसानों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील है।”
चिराग पासवान ने आगे कहा कि सरकार ने हमेशा बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं, और अब भी किसानों (Noida) को अपनी मांगों के लिए सरकार से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपना प्रतिनिधिमंडल भेजकर अपने मुद्दों को उठाएं, ताकि कोई विवाद न हो और समस्या का समाधान किया जा सके।
केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था, “हम किसानों का सम्मान करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, पिछली बार हरियाणा से जो कूच हुआ था, उस आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ था।”
मौर्य ने यह भी कहा कि किसान और जनता दोनों ही समझदार हैं, और उनका समर्थन प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी सरकार किसानों की समस्याओं को सुनेगी और उनका समाधान करेगी।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसान आंदोलन के प्रमुख कारणों में से एक है गौतमबुद्ध नगर में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर मुआवजे का असंतुलन। किसानों का आरोप है कि गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए चार गुना मुआवजा दिया गया, जबकि गौतमबुद्ध नगर के किसानों को इसी लाभ से वंचित किया गया है। इसके अलावा, 10 साल से सर्किल रेट में वृद्धि नहीं की गई है, जो किसानों के लिए एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
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