ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) मिशन के तहत बृहस्पतिवार को उपग्रहों की सफलतापूर्वक ‘डॉकिंग’ कर भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा लिया।
इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत! इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने डॉकिंग में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।”
सीएम योगी आदित्यनाथ ने दी बधाई
इस सफलता पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसरो को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए इसरो की टीम को बधाई! भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया है, जो हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं में एक बड़ी छलांग है। स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया को सटीकता के साथ संपन्न किया गया। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है! जय हिंद!”
स्पेडेक्स मिशन की शुरुआत
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को लॉन्च किया गया था। पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए दो छोटे उपग्रहों—एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट)—को पृथ्वी की 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। 24 पेलोड वाले इस मिशन के तहत इन उपग्रहों का वजन करीब 220 किलोग्राम था।
क्यों खास है यह मिशन?
अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक एक बेहद जटिल और आवश्यक प्रौद्योगिकी है, जिसका उपयोग सामान्य मिशन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कई रॉकेट लॉन्च की स्थिति में किया जाता है। यह भारत की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष योजनाओं, जैसे—चंद्रमा पर भारतीय मिशन, वहां से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
12 जनवरी को इसरो ने डॉकिंग परीक्षण के दौरान दो अंतरिक्ष यानों को तीन मीटर की दूरी पर लाया और फिर उन्हें सुरक्षित दूरी पर वापस भेजा था।
अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत का स्थान
स्पेडेक्स मिशन की सफलता के साथ भारत ने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में चौथे देश के रूप में अपनी जगह बना ली है। यह सफलता भारत की उन्नत तकनीकी क्षमताओं को दर्शाती है और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को मजबूत आधार प्रदान करती है।
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इसरो की बड़ी छलांग
यह मिशन भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। इसरो का यह प्रयास भारतीय अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है।