Greater Noida News: हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई। पहले दिन सदर तहसील में कुल 5 रजिस्ट्री की गईं, यह प्रक्रिया लंबे समय से रुकी हुई थी। डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री सशर्त की जा रही है, ताकि अवैध निर्माण को रोका जा सके।
2020 से रजिस्ट्री पर रोक
जिला प्रशासन ने 2020 में आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में अवैध निर्माण को रोकने के लिए डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के अनुसार किसी भी भूमि की रजिस्ट्री करने से पहले संबंधित प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना अनिवार्य कर दिया गया था। इसके बाद जुलाई 2024 में नई व्यवस्था लागू की गई, जिसमें रजिस्ट्री के लिए आवेदन एडीएम के पास जमा करना होता था। एडीएम प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगते थे और 30 दिन के भीतर रिपोर्ट न मिलने पर आवेदन को खारिज माना जाता था। यदि स्वीकृति मिल जाती तो तहसील और सिंचाई विभाग उसका सत्यापन करते।
हाईकोर्ट के आदेश ने बदली प्रक्रिया
डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री पर रोक को लेकर कई लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने प्रशासन के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके बाद शुक्रवार से जिले में डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री फिर से शुरू हो गई। हालांकि, पहले दिन दादरी और जेवर तहसील क्षेत्र में कोई रजिस्ट्री नहीं हुई, जबकि यहां पहले से ही कई आवेदन लंबित थे।
सशर्त रजिस्ट्री प्रक्रिया
सदर उपपंजीयक प्रेम प्रकाश के अनुसार डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री सशर्त की जा रही है। शर्तों के अनुसार खरीदी या बेची जा रही भूमि पर कोई स्थायी निर्माण नहीं होना चाहिए और भविष्य में उस पर कोई स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता। साथ ही, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की गाइडलाइन और नियमों का पूरी तरह से पालन करना अनिवार्य है। रजिस्ट्री के लिए भूखंड की खतौनी और खसरा की मूल प्रति के साथ ही मौके पर ली गई भूमि की जीपीएस आधारित फोटो भी संलग्न करनी होगी।
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दादरी और जेवर में अभी भी पंजीकरण लंबित
हालांकि, दादरी और जेवर तहसील क्षेत्र में पहले दिन कोई पंजीकरण नहीं हो सका, जबकि यहां पंजीकरण के लिए पहले से ही कई आवेदन आ चुके थे। अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों में पंजीकरण प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी, लेकिन यहां भी सशर्त नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया सख्त नियमों और एनजीटी की गाइडलाइन के तहत संचालित की जाएगी।