Meerut: मेरठ में रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण में बाधा बन रही वर्षों पुरानी एक मस्जिद को प्रशासन ने स्थानीय मुस्लिम समुदाय की सहमति से हटा दिया। अधिकारियों के मुताबिक, शुक्रवार को मस्जिद को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें समुदाय के लोगों ने भी सहयोग किया।
आपसी सहमति से हुई कार्रवाई
नगर के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि मस्जिद रैपिड रेल परियोजना के रास्ते में आ रही थी, जिस कारण इसे हटाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि मस्जिद प्रबंधन और मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ व्यापक चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया।
प्रशासन के अनुसार, पहले समुदाय के सदस्यों ने मस्जिद के कुछ हिस्सों को स्वयं गिराया, जिसके बाद प्रशासन ने देर रात बुलडोजर का इस्तेमाल कर ढांचे को पूरी तरह हटा दिया। इसके बाद मलबा भी साफ कर दिया गया।
मस्जिद की उम्र को लेकर अलग-अलग दावे
मस्जिद कितनी पुरानी थी, इस पर स्थानीय लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ का कहना था कि यह लगभग 80 साल पुरानी थी, जबकि अन्य का दावा था कि यह 168 साल पुरानी हो सकती है।
नहीं मिली वैकल्पिक भूमि
अपर जिलाधिकारी (नगर) बृजेश कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि इस मस्जिद के स्थान पर किसी समुदाय को फिलहाल कोई वैकल्पिक भूमि प्रदान नहीं की गई है और मुस्लिम समुदाय की ओर से भी इस संबंध में कोई अनुरोध नहीं किया गया है।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, मस्जिद को हटाए जाने के बाद पहली बार शुक्रवार को यहां नमाज नहीं हो सकी। प्रशासन ने पहले मस्जिद की बिजली आपूर्ति काट दी थी और गेट हटा दिया था। इसके बाद, इमाम और अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक कर उन्हें ढांचा हटाने की आवश्यकता के बारे में समझाया गया, जिस पर मस्जिद प्रबंधन सहमत हो गया।
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प्रशासन और समुदाय का सहयोग
अधिकारियों ने इस पूरी प्रक्रिया को आपसी सहमति का परिणाम बताया है। एडीएम सिंह ने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने स्वयं पहल करते हुए मस्जिद को हटाने का निर्णय लिया और प्रशासन ने इसमें सहयोग किया।
मेरठ में रैपिड रेल परियोजना के तहत निर्माण कार्य तेजी से जारी है और प्रशासन ने इसे सुचारू रूप से पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।