Haldwani Violence: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हलद्वानी में गुरुवार को नगर निगम द्वारा अवैध मदरसे और मस्जिदों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई. बुलडोजर कार्रवाई में अवैध मदरसे और मस्जिदें ढहाए जाने के बाद बवाल मच गया. जमकर हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी, गोलीबारी और पत्थरबाजी हुई. इस हिंसा में अब तक 8 लोगों की मौत की सूचना आ रही है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं।
बता दें कि पुलिस प्रशासन की एक टीम गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमित जमीन पर बने मदरसे और मस्जिद को हटाने की कार्रवाई करने पहुंची तो स्थानीय निवासियों ने विरोध किया और पथराव शुरू कर दिया. हालात बिगड़ गए, जिससे घरों और दुकानों में तोड़फोड़, आगजनी और गोलीबारी की घटनाएं हुईं। पूरे शहर में तनाव फैल गया, जिसके कारण कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए। इस घटना के बाद से शहर में बेहद संवेदनशील माहौल बना हुआ है.
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा कि हलद्वानी में हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी। पुलिस टीम पर हमला करने के लिए पहले से ही पत्थर तैयार रखे गये थे. हिंसा के चलते शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है.
आइए जानें कि हलद्वानी में हिंसा के पीछे की असली वजह क्या है, यह हिंसा कब और कैसे भड़की और कैसे पूरे शहर में तनाव फैल गया…
कब शुरू हुई हलद्वानी में हिंसा ?
पुलिस प्रशासन की टीम गुरुवार को हलद्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमित जमीन पर बने मदरसे और मस्जिद को हटाने गई थी. प्रशासन का दावा है कि मदरसा और मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से किया गया था. हाईकोर्ट ने इसे हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद टीम कार्रवाई के लिए वहां पहुंची थी। स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. शुरुआत में पुलिस टीम पर पत्थर फेंके गए और फिर पूरे शहर में हिंसा फैल गई.
हल्दवानी में कैसे हुई हिंसा ?
जैसे ही टीम ने मदरसे और मस्जिद पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, महिलाओं और स्थानीय निवासियों की गुस्साई भीड़ विरोध में सड़कों पर उतर आई और पुलिस कर्मियों से भिड़ गई. तभी टीम के खिलाफ नारेबाजी होने लगी और पथराव शुरू हो गया। मामला तेजी से बिगड़ गया और दंगे भड़क उठे।
क्यों हुई हलद्वानी में हिंसा ?
हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमित भूमि पर बने मदरसे और मस्जिद को हटाने का आदेश दिया था। स्थानीय लोग पुलिस प्रशासन की कार्रवाई का विरोध कर रहे थे. पुलिस ने उत्तेजित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठीचार्ज किया, लेकिन महोल और बिगड़ गई. इसके बाद रामनगर से अतिरिक्त बल बुलाया गया। उग्र भीड़ ने घरों और दुकानों में आगजनी, तोड़फोड़ की और दर्जनों वाहनों को आग लगा दी, जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया।
हाई कोर्ट ने मस्जिद और मदरसा हटाने का आदेश क्यों दिया ?
डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में अवैध निर्माण हटाने के आदेश दिए थे। ये मदरसे और मस्जिद बनभूलपुरा इलाके में तीन एकड़ जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए थे. प्रशासन ने बताया था कि 30 जनवरी को नगर निगम ने इन्हें गिराने का नोटिस जारी किया था और नगर निगम ने पहले ही जमीन को अपने कब्जे में लेकर सील कर दिया था.
मदरसे और मस्जिद किसकी ज़मीन पर बने हैं ?
वंदना सिंह ने बताया कि यह खाली संपत्ति थी जिस पर दो इमारतों का निर्माण किया गया था। कुछ लोग इन्हें मदरसा और नमाज स्थल कहते हैं, लेकिन ये धार्मिक संरचनाएं पंजीकृत नहीं हैं। न ही उनकी कोई पहचान है. उन्होंने कहा कि लोग इसे मलिक का बगीचा मानते हैं, लेकिन दस्तावेजों में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
हल्द्वानी में मदरसा और मस्जिद हटाने की कार्रवाई कितने दिनों से चल रही थी?
वंदना सिंह ने बताया कि 30 जनवरी को इन इमारतों को हटाने का आदेश जारी किया गया था और तीन दिन के अंदर खाली करने का नोटिस लगा दिया गया था. उन्हें हटाया जाना था.
मस्जिद और मदरसे को हटाने के लिए पुलिस टीम कितने बजे पहुंची?
मदरसा चलाने वाली संस्था इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट गई थी, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद गुरुवार दोपहर 1 बजे पुलिस टीम बुलडोजर लेकर कार्रवाई के लिए पहुंची.
क्या पूर्व नियोजित थी हलद्वानी में हिंसा?
वंदना सिंह ने बताया कि आधे घंटे के अंदर काफी भीड़ जमा हो गयी और पथराव होने लगा. पहला हमला नगर निगम की टीम पर हुआ. हर तरफ छतों से पत्थर फेंके गए. उन्होंने कहा कि 30 जनवरी से पहले छतों पर पत्थर नहीं थे. जब कोर्ट में कार्यवाही चल रही थी तो छतों पर पत्थर जमा किये गये थे. वंदना सिंह ने कहा कि इसका मतलब ये सब प्लान किया गया था कि जब तोड़फोड़ की कार्रवाई होगी तो हम इसी तरह फोर्स पर हमला करेंगे और तोड़फोड़ रोकने की कोशिश करेंगे.
नगर निगम की टीम पर कैसे हुआ हमला?
वंदना सिंह ने कहा कि हमला पत्थरों से किया गया और जब हमारी टीम पीछे नहीं हटी तो सबसे पहले भीड़ आई और उन पर पत्थरों से हमला किया. तभी दूसरी भीड़ हाथ में पेट्रोल बम, ईंधन से भरी प्लास्टिक की बोतलें लेकर आई और उनमें आग लगा दी और फेंक दिया. यह सब अकारण था; उन्हें किसी ने नहीं भड़काया. तब तक, टीम ने बल प्रयोग भी शुरू नहीं किया था; वे अतिक्रमण हटाने में व्यस्त थे.