Chardham Yatra: उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही पूरे प्रदेश में तबाही का मंजर नजर आने लगा है। पहाड़ों से लेकर घाटियों तक मूसलधार बारिश ने नदियों को उफान पर ला दिया है। कई जिलों में भारी बारिश ने तबाही का ऐसा रूप दिखाया कि दुकानें बह गईं, मंदिर जलमग्न हो गए और सड़कें टूट गईं। सबसे चौंकाने वाली तस्वीर अलकनंदा नदी की है, जहां भगवान शिव की 15 फीट ऊंची मूर्ति तक पानी में डूब गई है। यह नजारा बारिश की गंभीरता और बाढ़ की भयावहता को बयान करता है।
मौसम विभाग का रेड अलर्ट, दो दिन और आफत की बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार, राज्य के अधिकांश पर्वतीय जिलों में आगामी 48 घंटों के भीतर भारी से अति भारी वर्षा होने की आशंका है।
विशेषकर, पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर और टिहरी जैसे क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता और अधिक रहने वाली है।
बढ़ती बारिश के कारण प्रदेश की सभी प्रमुख नदियां, जैसे गंगा, यमुना, मंदाकिनी और अलकनंदा, खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। निचले इलाकों में बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गई है और प्रशासन ने तटीय गांवों और कस्बों को सतर्क रहने की अपील की है।
चारधाम यात्रा पर फिर संकट, यमुनोत्री मार्ग तीसरे दिन भी बंद
उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित चारधाम यात्रा, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है, एक बार फिर संकट में आ गई है।
यमुनोत्री हाईवे, जो यात्रियों को धाम तक पहुंचाता है, लगातार तीसरे दिन भी बंद पड़ा हुआ है।
- स्याना चट्टी क्षेत्र में यमुना नदी पर बनी झील की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।
- सिलाई बैंड और ओजरी के पास भूस्खलन और सड़क के बह जाने के कारण मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध है।
- यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन हाईवे को खोलने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है।
हजारों की संख्या में श्रद्धालु यमुनोत्री मार्ग पर फंसे हुए हैं। कई श्रद्धालु स्थानीय आश्रय स्थलों में रुके हैं, जहां स्थानीय निवासियों और तीर्थ समिति ने उनके लिए निःशुल्क भोजन और रात्रि विश्राम की व्यवस्था की है।
दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अभी तक प्रशासन का कोई वरिष्ठ अधिकारी सीधे प्रभावित स्थानों पर नहीं पहुंच पाया है, जिससे लोगों में नाराजगी है।
गंगोत्री मार्ग फिलहाल खुला, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण
गंगोत्री धाम की यात्रा अभी सुचारु रूप से जारी है। लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, आने वाले दो दिनों में यहां भी भारी बारिश के कारण मार्ग बाधित हो सकता है।
प्रशासन ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे मौसम की स्थिति को देखते हुए सावधानीपूर्वक यात्रा करें और अधिकारिक निर्देशों का पालन करें।
चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाई, लेकिन जोखिम बरकरार
प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले भारी बारिश के चलते चारधाम यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी थी। अब मौसम में कुछ सुधार के बाद सोमवार सुबह इसे फिर से बहाल कर दिया गया है।
हालांकि, सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी को मौसम की स्थिति के अनुसार यात्रा जारी रखने या रोकने का अधिकार दिया गया है।
इसका मतलब यह है कि स्थानीय प्रशासन को यात्रा मार्गों पर नजर बनाए रखनी होगी और किसी भी खतरे की स्थिति में तुरंत यात्रा को रोकना होगा।
बाढ़ से बढ़ा खतरा, मंदिरों और बाजारों में भरा पानी
प्रदेश के कई शहरों और कस्बों में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। कुछ जगहों पर छोटे मंदिर पूरी तरह डूब गए हैं, तो कहीं दुकानों और घरों में पानी भर चुका है।
चमोली और श्रीनगर (गढ़वाल) में बारिश इतनी तेज रही कि दुकानों का सामान बह गया। ग्रामीण इलाकों में संपर्क मार्ग टूट जाने से लोग कटे हुए इलाकों में फंसे हैं।
प्रशासन अलर्ट पर, लेकिन जनसहयोग बना सहारा
आपदा प्रबंधन विभाग और SDRF की टीमें मौके पर तैनात हैं, लेकिन भारी वर्षा और दुर्गम भू-भाग के कारण राहत कार्यों में देरी हो रही है।
फंसे हुए यात्रियों और ग्रामीणों को तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की मांग भी उठाई जा रही है।
वहीं, स्थानीय निवासी और सामाजिक संस्थाएं सरकार के साथ मिलकर लोगों की सहायता कर रही हैं।
प्रकृति का प्रकोप जारी, प्रशासन सतर्क
उत्तराखंड में मानसून की सक्रियता ने यह साफ कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता और जनसहयोग जरूरी है।
चारधाम यात्रा जैसे आयोजनों के दौरान प्रशासन और आम नागरिकों को मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
राज्य में अगले दो दिन भारी बारिश की संभावना बनी हुई है, ऐसे में अनावश्यक यात्रा से बचने और प्रशासन की एडवाइजरी को मानने की सख्त जरूरत है।
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