शिमला :- हिमाचल प्रदेश में मानसूनी बारिश ने जाल-माल को भारी क्षति पहुंचाई है। मानसून सीजन के दौरान भूस्खलन, बाढ़ और नदी-नालों में बहने की घटनाओं में अब तक 55 लोगों की मौत हुई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट में ये आंकड़ा सामने आया है। राज्य में इस साल मानसून ने 13 जून को दस्तक दी थी। जून महीने में मानसून की रफ्तार धीमी रही, लेकिन जुलाई में मानसून की व्यापक वर्षा दर्ज की गई। 26 से 30 जुलाई की अवधि में भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ के कारण कई जिलों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। सिरमौर जिला के काली ढांक में नेशनल हाईवे समेत पहाड़ के दरकने का खौफनाक मंजर सामने आया है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में नदी-नालों और खड्डों में बहने की घटनाओं में 23 लोगों की जान जा चुकी है। इसी तरह भूस्खलन की वजह से 22 और बादल फटने और फ्लैश फ्लड से 10 लोगों की मौत हुई। कांगड़ा जिला में भूस्खलन और पानी के तेज बहाव में बहने से 10-10 मौतें हुईं हैं। लाहौल-स्पीति में फलैश फ्लड की चपेट में आकर आठ लोग मारे गए। किन्नौर में भूस्खलन के कारण नौ पर्यटकों की मृत्यु हुई। ये सभी हिमाचल घूमने आए थे और इनकी गाड़ी भूस्खलन की जद में आ गई थी। शिमला में भूस्खलन के कारण दो और सोलन में एक व्यक्ति की जान गई। चंबा जिला में बादल फटने के बाद आई बाढ़ में दो लोगों की मौत हुई है। कुल्लू व मंडी जिलों में उफनती नदी-नालों में बहने से तीन-तीन लोगों ने दम तोड़ा। इसी तरह बिलासपुर और शिमला में भी पानी के तेज बहाव में बहने से दो-दो लोगों की मौत हुई। जबकि हमीरपुर, लाहौल-स्पीति व उना जिलों में एक-एक व्यक्ति मारा गया।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक सुदेश कुमार मोक्टा ने सोमवार को बताया कि मानसून सीजन के दौरान बारिश से जुड़े हादसों में अब तक 232 लोगों की जान गई है। इनमें सबसे अधिक 119 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। भूस्खलन, बादल फटने व बाढ और बहने से 55 लोगों की मृत्यु हुई है। इसके अलावा सर्पदंश के कारण सात, करंट से चार, अग्निकांड से दो, हिंसक जानवर के हमले से एक और अन्य कारणों से 31 लोगों की मौत हुई। मानसून सीजन में आई आपदा के कारण 456 पशु-पक्षियों की भी मौत हुई है। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में अब तक प्रदेश में चल व अचल संपति को 748 करोड़ का नुकसान आंका गया है।
Publish by- shivam Dixit
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