लखनऊ :- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पेगासस के सॉफ्टवेयर पर पत्रकारों से कहाकि इस सम्बंध में विगत दो दिनों से विपक्षी दलों द्वारा देश के अंदर जिस प्रकार का वातावरण बनाने का प्रयास हो रहा है, यह विपक्ष के कुत्सित मनसा को उजागर करता है। मुख्यमंत्री ने रामचरित मानस की चौपाई ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ से विपक्षी दलों पर हमला किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संसद सत्र प्रारम्भ होने के ठीक एक दिन पहले सनसनीखेज चीजों को परोसकर समाज में विषाक्त वातावरण का कुत्सित प्रयास हो रहा है। जाने-अनजाने में अंतरराष्ट्रीय साजिशों का शिकार विपक्ष पूरी तरह से नकारात्मक भूमिका में है। कहा कि यह साजिश भारत को अस्थिर, अस्त-व्यस्त करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह कोई पहली घटना नहीं है। वर्ष 2020 में अमेरिका के राष्ट्रपति के भारत आगमन के दौरान दिल्ली में भीषण दंगा क्या एक साजिश का हिस्सा नहीं था? विपक्षी दलों की संलिप्तता उस दंगे के साथ जोड़कर नहीं देखी गई थी?
कहा कि कोविड प्रबंधन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) तथा दुनिया भारत को सराह रहे थे, लेकिन लोगों को सम्बल देने की बजाय विपक्ष ने दूषित व अराजकता का वातावरण पैदा करने का प्रयास किया। कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब व अस्थिर करने हेतु जिन मंसूबों के साथ विपक्ष कार्य कर रहा है, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष देश के खिलाफ साजिशें रचती हुई दिखाई दे रही है। किसानों को मत तथा मजहब के साथ जोड़कर उनके माध्यम से भड़काऊ और देश विरोधी कृत्यों को आगे बढ़ा रही है। कहा कि विपक्ष की यह कुत्सित मंशाएं कभी पूरी नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यशस्वी नेतृत्व द्वारा संसद में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए नए मंत्रियों का परिचय करवाना विपक्ष को रास नहीं आया है। क्योंकि वे अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति तथा ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं। जिन्होंने देश की आजादी के बाद कभी भी नेतृत्व नहीं देखा था, आज जब उन्हें नेतृत्व मिला है तो विपक्ष को यह रास नहीं आ रहा। कहा कि अपनी बात को रखने हेतु संसद एक मंच होता है, लेकिन उसे शोरगुल का शिकार बना लें तो लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद में अपनी नकारात्मकता के कारण जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को संसद में न उठने देना नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। विपक्ष को जनता जनार्दन व देश से माफी मांगनी चाहिए। मनगढ़ंत व तथ्यहीन आरोपों को सिरे से खारिज किया जाना चाहिए।