चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के संयुक्त प्रयासों से दोनों राज्यों के बीच दशकों से चल रहा सीमा विवाद अब सुलझने जा रहा है। प्रदेश के एक जिले का सीमा विवाद तो समाप्त हो गया है जबकि भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से पांच जिलों में निशानदेही का काम शुरू हो गया है। इस विवाद के सुलझने से हर साल फसल के दिनों में किसानों के बीच होने वाला खूनी संघर्ष बंद होगा।
दोनों राज्यों के विवाद को लेकर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक रिपोर्ट जारी की है। दुष्यंत चौटाला के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस विवाद को सुलझाने के लिए 14 दिसम्बर 2019 को एक बैठक की। इसके बाद नौ जनवरी 2020 को दोनों राज्यों के आला अधिकारियों की बैठक में इस विवाद को सुलझाने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग,लोक निर्माण विभाग तथा अन्य विभागों ने कार्रवाई शुरू की।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सदन में इसकी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि यमुनानगर का उत्तर प्रदेश के साथ इस समय कोई विवाद नहीं है। वर्तमान में करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद तथा पलवल जिलों का उत्तर प्रदेश के साथ चल रहा सीमा विवाद सुलझाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि करनाल जिला के गांव बड़ी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया था। यहां 20 बांउड्री पिलर लगाए जाने प्रस्तावित हैं। इनमें से 12 पिलर लगाए जा चुके हैं।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि पानीपत जिले में पांच रैफरेंस पिलर, 91 सब-रैफरेंस पिलर तथा 423 बांउड्री पिलर लगाए जाएंगे। इनकी निशानदेही को लेकर दोनों राज्यों द्वारा भारतीय सर्वेक्षण विभाग को सहमति पत्र दिए जा चुके हैं। इसी प्रकार सोनीपत जिले में कुल 347 बांउड्री पिलर, फरीदाबाद जिला की सीमा में 162 पिलरों में से 142 पिलर स्थापित हो चुके हैं। पलवल जिला की सीमा में 771 बाउंड्री पिलर लगाए जाने हैं, जिनमें से 385 पिलर तथा 140 सब-रैफरेंस पिल्ला पलवल जिला प्रशासन द्वारा स्थापित करवाए जाएंगे। यहां इस समय 328 पिलर दोनों राज्यों के समझौते के अनुसार स्थापित किए जाएंगे।
दुष्यंत चौटाला के अनुसार हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में कई दशकों से सीमा विवाद चल रहा था। जो अब समाप्त हो रहा है। बहुत जल्द हरियाणा के सभी छह जिलों में निशानदेही करके पिलर लगा दिए जाएंगे। इसके बाद जिला प्रशासन की मदद से दोनों राज्यों के सीमावर्ती किसानों की संयुक्त बैठक करवाकर उन्हें सीमाओं के बारे में बता दिया जाएगा ताकि फसल के सीजन में होने वाले विवाद समाप्त हो सकें। जहां अभी पिलर स्थापित नहीं हो पा रहे हैं उसके बारे में भी विशेषज्ञों को वैकल्पिक प्रबंध करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।