Noida: नोएडा प्राधिकरण की विकास परियोजनाओं की निगरानी अब ऑनलाइन होगी। इसके लिए प्राधिकरण जिओग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार करा रहा है। इस तकनीकी निगरानी व्यवस्था को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) विकसित करेगा।
इस नई व्यवस्था में किसी भी परियोजना के प्रस्ताव, टेंडर, भुगतान बिल और प्रगति का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन उपलब्ध होगा। साथ ही, परियोजना से जुड़े पुराने रिकॉर्ड भी आसानी से देखे जा सकेंगे। परियोजना को पूरा करने वाली एजेंसियों की आर्थिक स्थिति और उनके लेनदेन का विवरण भी इस सिस्टम में शामिल रहेगा। खास बात यह है कि ऑनलाइन डेटा में किसी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं होगी, जिससे कार्य की पारदर्शिता बनी रहेगी। साथ ही, गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही भी तय की जाएगी।
सरकारी कॉलोनियों और दफ्तरों में लगेंगे स्मार्ट मीटर
नोएडा जिले की 1300 से अधिक सरकारी कॉलोनियों, बिजली उपकेंद्रों, दफ्तरों और सरकारी कर्मचारियों के घरों में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इसके लिए मुख्यालय स्तर से नोएडा जोन को 31 मार्च 2025 तक का लक्ष्य दिया गया है।
इस योजना के तहत 734 सरकारी कॉलोनियों, 456 अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास, 104 बिजली उपकेंद्रों और 47 सरकारी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। अधिकारियों ने इस लक्ष्य को समय पर पूरा करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बिजली बिलिंग प्रक्रिया बनेगी पारदर्शी
स्मार्ट मीटरों की स्थापना से बिजली उपभोक्ताओं और निगम दोनों को वास्तविक खपत की सटीक जानकारी मिल सकेगी। इससे बिलिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और त्रुटिहीन होगी।
विद्युत निगम नोएडा जोन के मुख्य अभियंता हरीश बंसल ने बताया कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को रियल टाइम डेटा प्रदान करेंगे, जिससे वे अपनी बिजली खपत को नियंत्रित कर सकेंगे। इससे अनावश्यक बिजली खर्च को रोका जा सकेगा। यह पहल नोएडा में स्मार्ट विद्युत वितरण प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
प्रोजेक्ट निगरानी व्यवस्था लागू
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी महेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस निगरानी व्यवस्था में पीडब्ल्यूडी के टेंडर ऐप ‘प्रहरी’ को भी जोड़ा जाएगा। इस ऐप पर प्रत्येक एजेंसी की पूरी प्रोफाइल उपलब्ध होगी। साथ ही, जीआईएस सिस्टम लागू होने से यदि एक किलोमीटर सड़क बन रही है या उसकी रिसर्फेसिंग हो रही है, तो गूगल मैप के जरिए उसकी स्थिति को सिस्टम पर देखा जा सकेगा।
परियोजना की लागत, निर्माण सामग्री और गुणवत्ता मानकों को भी इस प्रणाली में अपडेट किया जाएगा, जिससे प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता बनी रहेगी।
भुगतान प्रक्रिया होगी अधिक सटीक
परियोजना प्रभारी को भुगतान प्रक्रिया के दौरान किए गए कार्य की प्रगति, गुणवत्ता परीक्षण के सैंपल रिपोर्ट और फोटो को ऑनलाइन रिकॉर्ड के रूप में अपलोड करना होगा। यह व्यवस्था सिविल, जल, बिजली सहित सभी विभागों की परियोजनाओं के लिए लागू होगी।
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इस नई प्रणाली से परियोजनाओं में अधिक भुगतान या दोहराव की आशंका खत्म होगी और सभी कार्यों का डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा। इससे विकास कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।