Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के पुराने सेक्टरों और गांवों में सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, ईटा, नॉलेज पार्क वन, टू, थ्री और साकीपुर गांव समेत कई इलाकों में सड़कों पर गंदा पानी बह रहा है। यह स्थिति स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ी परेशानी बन चुकी है।
8 करोड़ का टेंडर, फिर भी जस का तस हालत
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने करीब दो महीने पहले सीवरेज सफाई के लिए 8 करोड़ रुपये का टेंडर एक निजी कंपनी को दिया था। बावजूद इसके समस्या का कोई समाधान होता नहीं दिख रहा। एक्टिव सिटीज़न टीम के सदस्य हरेंद्र सिंह भाटी का कहना है कि बड़े टेंडर के बावजूद सेक्टरों में सीवरेज की गंदगी जस की तस बनी हुई है। लोग अपने घरों के बाहर बहते गंदे पानी की वजह से परेशान हैं।
जन चौपाल में उठा था मुद्दा, पर अब तक कोई समाधान नहीं
सेक्टर बीटा-2 के निवासी गोपाल यादव ने बताया कि उन्होंने दो महीने पहले जन चौपाल में इस समस्या को अधिकारियों के समक्ष रखा था। उस समय अधिकारियों ने एक हफ्ते में समाधान का भरोसा दिया था, लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी कुछ नहीं बदला। यादव ने सीवरेज विभाग के सीनियर मैनेजर एपी वर्मा और मैनेजर शुभांगी तिवारी पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं और कहा कि शिकायतों के बाद भी अधिकारी निरीक्षण करने नहीं आते।
अधिकारियों पर लगे घोटाले के आरोप
हरेंद्र भाटी ने प्राधिकरण के अधिकारियों पर घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा, “अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारों को टेंडर दे दिए हैं, लेकिन सफाई का काम धरातल पर नहीं हो रहा। अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठे कमीशनखोरी में व्यस्त हैं और जनता की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।”
मुख्य कार्यपालक अधिकारी से शिकायत की तैयारी
स्थानीय निवासियों ने फैसला किया है कि वे जल्द ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) से मिलेंगे और अधिकारियों की नाकामी से अवगत कराएंगे।
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स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा
सीवरेज ओवरफ्लो से बहते गंदे पानी की वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि प्राधिकरण इस मुद्दे को प्राथमिकता से हल करे और लापरवाही करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई करे।
आखिर कब मिलेगी राहत?
ग्रेटर नोएडा के निवासियों ने सवाल उठाया है कि 8 करोड़ के टेंडर के बाद भी सीवरेज सफाई का कार्य क्यों नहीं हो पाया। क्या प्राधिकरण लोगों की परेशानियों का संज्ञान लेगा या यह समस्या यूं ही बनी रहेगी?