Vishwakarma Puja 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा। इसे भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव भी कहा जाता है। कन्या संक्रांति का शुभ क्षण देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर रहेगा। इस दिन विशेष रूप से शिल्पकार, व्यापारी और मजदूर अपने औजारों, मशीनों और वाहनों की पूजा करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?
भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा जी का पुत्र और सृष्टि का प्रथम शिल्पकार माना जाता है। पुराणों के अनुसार, उन्होंने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, महल, सिंहासन और प्रसिद्ध नगरों का निर्माण किया। सोने की लंका, भगवान कृष्ण की द्वारका और पांडवों का इंद्रप्रस्थ इन्हीं की रचनाएं मानी जाती हैं। यही कारण है कि कामकाजी लोग अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि के लिए विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी बेहद खास है। माना जाता है कि इस दिन मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से काम में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और व्यवसाय में तरक्की मिलती है। साथ ही यह पर्व हमें कर्म और परिश्रम के महत्व की भी याद दिलाता है।
इस आरती के बिना अधूरी है पूजा
भगवान विश्वकर्मा की आरती का विशेष महत्व है। भक्त मानते हैं कि विश्वकर्मा जी की आरती गाए बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। इस आरती के पाठ से सुख-समृद्धि, कार्य में सफलता और घर-परिवार में शांति आती है।
विश्वकर्मा जी की आरती
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ।।
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया।।
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्ध आई।।
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बन कर दूर दुःख कीना।।
जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी।।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दसभुज, सकल रूप साजे।।
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जाये, अटल शांति पावे।।
श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई जन गावे।
कहत गजानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे।।
पूजा-अर्चना का विशेष महत्व
विश्वकर्मा पूजा 2025 पर आरती और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। यह पर्व न केवल धार्मिक श्रद्धा से जुड़ा है, बल्कि कर्मशीलता और समर्पण की भावना को भी मजबूत करता है। इस दिन मशीनों और औजारों की पूजा कर लोग भगवान विश्वकर्मा से सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं।
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