Noida: नोएडा के गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विकास पंवार को प्रबंधन की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस घटना ने विश्वविद्यालय में हलचल मचा दी है।
सोशल मीडिया पर उठाया मामला
प्रोफेसर पंवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मामले को उठाया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि यह नोटिस उन्हें विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और एक रिटायर्ड प्रोफेसर द्वारा छात्रा के यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें यह नोटिस उनकी सेवा समाप्ति से संबंधित है और यह पहला मौका नहीं है जब उन्हें ऐसा नोटिस मिला है।
हाईकोर्ट में पूर्व मामले में मिली थी जीत
इस मामले में एक रोचक पहलू यह है कि पहले भी प्रोफेसर पंवार की सेवा समाप्त की जा चुकी है। उस समय उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और उन्होंने इस मामले में जीत हासिल की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही उन्हें जीबीयू में पुनः नियुक्ति मिली थी।
प्रोफेसर पंवार पर भी आरोप
दूसरी ओर, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रोफेसर पंवार ने विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन किया है। उनके अनुसार, प्रोफेसर पंवार ने यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के नियमों के विरुद्ध जाकर विश्वविद्यालय के आंतरिक मामलों को सोशल मीडिया पर उठाया है। कुलपति ने यह भी आरोप लगाया कि प्रोफेसर पंवार पूर्व में भी शिक्षकों को हड़ताल के लिए उकसाते रहे हैं।
ये भी पढ़ें..
जीबीयू में माहौल गरमाया
यह विवाद अब जीबीयू परिसर में चर्चा का मुख्य विषय बन गया है। कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे विश्वविद्यालय के अनुशासन का उल्लंघन मान रहे हैं।