Ghaziabad News: गाजियाबाद में OYO होटलों से लेकर किराए के फ्लैटों तक में सेक्स रैकेट का धंधा चल रहा है। दो दिन पहले विजयनगर और शालीमार गार्डन थानों की पुलिस ने होटलों और फ्लैटों पर छापेमारी कर अवैध गतिविधियों में लिप्त रैकेट का पर्दाफाश किया था। सोमवार को एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह के नेतृत्व में इंदिरापुरम पुलिस ने एक फ्लैट पर छापा मारकर वेश्यावृत्ति रैकेट का पर्दाफाश करने का दावा किया। पुलिस ने मौके से तीन महिलाओं को मुक्त कराया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया।
वसुंधरा के सेक्टर 1 में संचालित रैकेट
एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर तलाशी और बचाव अभियान के तहत पुलिस ने वसुंधरा के सेक्टर 1 में मकान नंबर 61 पर छापा मारा और तीन महिलाओं को मुक्त कराया। तीनों महिलाएं गरीब परिवारों से हैं और कथित तौर पर उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेला गया था। रैकेट का संचालक ग्राहकों से बड़ी रकम वसूलता था, जबकि महिलाओं को गुजारा करने के लिए बहुत कम रकम देता था।
आयोजक ने एक मैनेजर रखा था
एसीपी ने खुलासा किया कि सेक्स रैकेट संचालक ने सभी कामों को संभालने के लिए एक मैनेजर रखा था। इस मैनेजर को पहले साहिबाबाद में वेश्यावृत्ति में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जमानत पर रिहा होने के बाद उसने वसुंधरा में संचालक के साथ मिलकर फिर से यही काम शुरू कर दिया।
रोहित गरीब महिलाओं को बनाता था निशाना
एसीपी के अनुसार, रैकेट संचालक पसौंडा का रहने वाला है और उसने मुरादनगर के सुराना गांव निवासी रोहित कुमार को मैनेजर के पद पर रखा था। 24 वर्षीय रोहित साहिबाबाद के लाजपत नगर में किराए के मकान में रहता है और उसे मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा, दो ग्राहकों प्रिंस भारती (प्रहलाद गढ़ी निवासी, श्रीचंद भारती का बेटा) और राजेंद्र गोंडाने (55, वसुंधरा सेक्टर 9 निवासी, बलिराम का बेटा) को भी हिरासत में लिया गया। पुलिस ने मौके से आपत्तिजनक सामान, एक चेकबुक और चार मोबाइल फोन जब्त किए।
रैकेट का संचालक फरार
एसीपी ने बताया कि मुख्य संचालक पसौंडा निवासी रविंद्र कुमार फरार है। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस उसे पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है। बचाई गई महिलाओं के अनुसार, रवींद्र और उसका मैनेजर रोहित गरीब महिलाओं को काम का वादा करके अपने जाल में फंसाते थे, और फिर ज़्यादा मुनाफ़े के लिए उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल देते थे। रैकेट संचालक और उसका मैनेजर ग्राहकों से बड़ी रकम वसूलते थे, लेकिन महिलाओं को सिर्फ़ न्यूनतम गुजारा भत्ता देते थे।