DGP Prashant Kumar: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) पद से प्रशांत कुमार शनिवार को सेवानिवृत्त हो गए। उनके 14 महीनों के कार्यकाल को माफिया और संगठित अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई, कानून-व्यवस्था की मजबूती और सुरक्षा के बेहतरीन प्रबंधन के लिए याद किया जाएगा। विशेष रूप से महाकुंभ और श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा जैसे प्रमुख आयोजनों में उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को नए स्तर पर पहुँचाया।
अपराधियों पर करारा प्रहार बना पहचान
प्रशांत कुमार पहले भाजपा सरकार के कार्यकाल में मेरठ जोन के एडीजी थे, जहां उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई कुख्यात अपराधियों का सफाया किया। उनकी इसी कार्यशैली से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें एडीजी (कानून-व्यवस्था) बनाया। बाद में उन्होंने मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे बड़े माफियाओं के नेटवर्क को नेस्तनाबूद किया। इस प्रभावशाली कार्य के चलते उन्हें 31 जनवरी 2024 को प्रदेश का डीजीपी नियुक्त किया गया।
सेवानिवृत्ति के दिन उन्होंने परंपरागत विदाई समारोह या औपचारिक परेड में भाग नहीं लिया, जैसा कि कुछ पूर्व डीजीपी करते आए हैं। माना जा रहा है कि प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री का भरोसेमंद अधिकारी होने के नाते कोई नई अहम भूमिका दी जा सकती है।
नए डीजीपी राजीव कृष्णा को मिली दोहरी जिम्मेदारी
राज्य सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा को नया डीजीपी नियुक्त किया है। साथ ही वे पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते रहेंगे। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इस अतिरिक्त कार्यभार के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त वेतन या भत्ता नहीं मिलेगा।
गौतमबुद्ध नगर निवासी राजीव कृष्णा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक हैं और उन्हें दो बार राष्ट्रपति गैलेंट्री अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उनकी सेवानिवृत्ति में अभी चार साल एक माह शेष है, जिससे वे लंबे समय तक डीजीपी पद पर बने रह सकते हैं।
पेपर लीक प्रकरण में दिखाई दक्षता
राज्य में पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो जाने के बाद सरकार ने राजीव कृष्णा को भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने परीक्षा को निष्पक्ष और सफलतापूर्वक संपन्न कराया, जिसकी सराहना सरकार ने की। इसी कार्यकुशलता के चलते उन्हें डीजीपी पद की कमान दी गई है।
पांचवीं बार कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति
यह उल्लेखनीय है कि राजीव कृष्णा उत्तर प्रदेश के लगातार पांचवें कार्यवाहक डीजीपी हैं। उनसे पहले डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और प्रशांत कुमार भी इसी रूप में कार्य कर चुके हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को डीजीपी पद के लिए पैनल नहीं भेजा है।
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