नई दिल्ली। कोरोनिल के विज्ञापन के पोस्टर्स एक बार फिर बाबा रामदेव के गले की फांस बनने जा रहे हैं। एलोपैथी पर सवाल उठाने वाले बाबा रामदेव को दिल्ली हाइकोर्ट ने कोरोनिल पर नोटिस जारी किया। मेडिकल साइंस से सवाल करने वाले बाबा रामदेव को अब शायद दिल्ली हाईकोर्ट में जाकर अपने सवालों की फेहरिस्त दोहरानी होंगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने चार हफ्तों में नोटिस का जवाब देने का वक्त पतंजलि को दिया है।
कोरोनिल पर सुनवाई के दौरान दिल्ली कोर्ट में बाबा रामदेव के एलोपैथी के खिलाफ सवालों को उठाया गया। याचिका दाखिल करने वाले वकील अखिल सिब्बल ने कोरोनिल को कोरोना की दवाई बताने वाले दावों पर बाबा रामदेव को आड़े हाथों लिया। वहीं अदालत ने भी इन दावों में खासी दिलचस्पी दिखाई। अखिल सिब्बल ने कहा था कि व्यवसाय करने से कोई मना नहीं कर रहा है। लेकिन वो कह रहे हैं कि एलोपैथी आपको मार रहा है और उसका इलाज हमारे पास है। वो कहते हैं कि हमने 90 फीसदी लोगों को ठीक किया है। एलोपैथ से महज दस फीसदी लोग ठीक हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी कहा था कि बाबा रामदेव ऐसा बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दे सकते हैं कि कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में लाइसेंस मिला है।
कोर्ट ने बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील राजीव नय्यर ने कहा कि आपके मुवक्किल ने एलोपैथी और अस्पतालों का मजाक उड़ाया। कोर्ट ने कहा कि याचिका निश्चित रूप से सुनवाई योग्य है। कोर्ट ने नय्यर से कहा कि आप आरोपों से इनकार कर रहे हैं, आप जवाब दाखिल कीजिए। तब नय्यर ने कहा कि केस की मेरिट पर कोई राय मत बनाइए क्योंकि मीडिया में इसकी बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग हो रही है। कोर्ट ने केवल नोटिस जारी करने पर दलीलें सुनी है।
कोर्ट ने 25 अक्टूबर को कहा था कि लाभ कमाना न तो अनुचित है और न गैरकानूनी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कहा था कि बाबा रामदेव ने अपने व्यावसायिक फायदे के लिए कोरोनिल टैबलेट के बारे में प्रचार किया कि वो कोरोना की दवाई है। तब कोर्ट ने कहा था कि आप व्यावसायिक लाभ में मत जाइए। हर व्यक्ति लाभ कमाता है। आप यह बताइए कि गलत कहां हुआ है। व्यावसायिक लाभ कमाना न तो अनुचित है और न ही गैरकानूनी।
अपनी दलील के पक्ष में सिब्बल ने 12 जून 2020 का दिव्य फार्मेसी का एक दस्तावेज उद्धृत किया जिसमें कोरोनिल टेबलेट समेत तीन चीजों के बार में जानकारी दी गई है।
हाईकोर्ट ने 28 सितंबर को कहा था कि बाबा रामदेव ने सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा दिया। कोर्ट ने कहा था कि रामदेव ने कोरोनिल का प्रचार जरूर किया लेकिन किसी को कोरोना की वैक्सीन अभियान से रोकने की कोशिश नहीं की।