नई दिल्ली :- केंद्र सरकार ने उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि सरकारी एजेंसियां देश के कुछ नामी-गिरामी लोगों के मोबाइल से जानकारी हासिल कर रही हैं।
एक वक्तव्य में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने कहा कि इजरायल की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों की निगरानी करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने संबंधी मीडिया रिपोर्ट निराधार, भ्रामक और भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने का प्रयास है।
सरकार ने मीडिया रिपोर्टों को कपोल-कल्पना बताते हुए कहा कि कुछ मीडिया संस्थान स्वयं ही जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं।
वक्तव्य में इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा गया है कि भारत में नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था है। भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार के प्रति प्रतिबद्ध है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि इस तरह के आरोप पहले व्हाट्सएप की खुफियागिरी को लेकर भी लगाए गए थे जिनका उच्चतम न्यायालय में व्हाट्सएप सहित विभिन्न पक्षों ने पूरी तरह खंडन किया था।
देश-विदेश की मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रसारित लोगों की खुफिया निगरानी किए जाने संबंधी रिपोर्ट पर सरकार का यह स्पष्टीकरण आया है। इन रिपोर्टों में आरोप लगाया गया था कि इजरायल की कंपनी एनएसओ ने विभिन्न सरकारों को तकनीक टूल उपलब्ध कराया था जिसके जरिए लोगों के मोबाइल फोन से जानकारी हासिल की जा सकती है। जिन सरकारों को यह टूल उपलब्ध कराया गया उनमें कथित रूप से भारत का नाम भी शामिल है।
मीडिया रिपोर्टों में आरोप लगाया गया कि टूल के जरिए भारत के 300 से अधिक मोबाइल फोन में तांकझांक की गई। इनमें राजनीतिक नेताओं, पत्रकारों और समाज के विभिन्न वर्ग के प्रमुख लोग शामिल रहे।
सरकार ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक सूचना प्रवाह को कानूनी रूप से हासिल करने की एक निश्चित प्रक्रिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित में एक निश्चित कानूनी प्रक्रिया के जरिए इलेक्ट्रॉनिक संवाद पर निगरानी रखी जाती है।