उत्तर प्रदेश में गुरुवार से डिजिटल हाजिरी को लेकर सरकार सख्त रुख अपना रही है। जारी आदेश के अनुसार तीन दिन तक ऑनलाइन हाजिरी दर्ज न कराने वालों का वेतन रोक दिया जाएगा। डिजिटल हाजिरी पर विभागीय निर्देशों का पालन न करना उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्नाव में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने आदेश जारी किया है कि तीन दिन तक डिजिटल हाजिरी दर्ज न कराने पर विभागीय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा। इसके परिणामस्वरूप अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और ऐसे शिक्षकों के वेतन-भत्ते अग्रिम आदेश तक रोक दिए जाएंगे।
शिक्षकों का काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन
इससे पहले राज्य सरकार ने 11 जुलाई से शिक्षकों के लिए डिजिटल हाजिरी अनिवार्य कर दी थी। इस कदम का शिक्षकों ने विरोध किया है और कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। शिक्षकों ने सरकार के आदेश को अव्यवहारिक बताया है। यूपी के कई जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। कई शिक्षक संघों ने जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन भी सौंपे हैं। आदेश लागू होने के पहले दिन यानी 8 जुलाई को उन्नाव-बाराबंकी में मात्र दो फीसदी शिक्षकों ने डिजिटल हाजिरी दर्ज कराई थी। उन्नाव-बाराबंकी के बीएसए ने ऐसे शिक्षकों का वेतन या भत्ते रोकने की संस्तुति की है।
शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा समन्वयकों की आज बैठक
शिक्षकों के विरोध को देखते हुए शुक्रवार को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा समन्वयकों की बैठक बुलाई गई है। बैठक के नतीजों के आधार पर विभाग अगले कदम पर फैसला लेगा। प्रदेश सरकार इस कदम के जरिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। शिक्षकों और कर्मचारियों को रोजाना डिजिटल हाजिरी दर्ज कराने और किसी भी तरह की लापरवाही से बचने के आदेश जारी किए गए हैं। माना जा रहा है कि इस तरह के सख्त कदमों से अनुशासन आएगा और शिक्षा क्षेत्र की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा, जिससे सकारात्मक बदलाव आएंगे। इस बीच, इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है।
मामले पर सियासत जारी
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने ही सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी की निगरानी करने के बजाय उच्च अधिकारियों, बीएसए और सचिवों से ऑनलाइन जांच कर गड़बड़ियों का पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सबसे पहले स्कूलों की हालत सुधारनी चाहिए, जहां कभी बच्चों से घास कटवाई जाती है तो कभी मिड-डे मील के नाम पर भ्रष्टाचार होता है। यह मनमानी है। शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी को लेकर उठे विवाद के बीच मीनाक्षी बहादुर जैसी शिक्षाविदों और प्राथमिक शिक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि डिजिटल हाजिरी शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे व्यावहारिक नहीं माना जा रहा है, लेकिन इससे न केवल समय की बचत होती है बल्कि स्कूल की व्यवस्था को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। शिक्षकों को राहत देने के लिए पहले से शेड्यूलिंग की जा सकती है और अगर डिजिटल तरीके से हाजिरी दर्ज की जाए तो उनका प्रशासनिक काम और भी पारदर्शी हो सकता है।