USD vs INR: बुधवार, 3 दिसंबर को रुपये ने अब तक का सबसे खराब स्तर छू लिया। शुरुआती ट्रेडिंग में भारतीय रुपया US डॉलर के मुकाबले 90.14 तक गिर गया। यह पिछले कुछ दिनों में तीसरी बार है जब रुपया नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर गया है। इस गिरावट की बड़ी वजहें हैं—FPI (विदेशी निवेश) का बाहर जाना, भारत–US ट्रेड डील पर अनिश्चितता, और पहले से ही कमजोर चल रहा बाजार सेंटिमेंट।
क्यों बढ़ रहा है रुपये पर दबाव?
आज पहली बार डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के लेवल के पार गया है। कई कारण रुपये पर भारी पड़ रहे हैं:
• विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार पैसा निकाल रहे हैं
• भारत–अमेरिका ट्रेड डील पर अभी सफाई नहीं है
• ट्रेड बैलेंस कमजोर दिख रहा है
• एशिया में करेंसी पर दबाव, खासकर येन कैरी ट्रेड खुलने के शुरुआती संकेतों से
इन सब वजहों से एशियाई करेंसी, खासकर रुपया, भारी दबाव में है।
RBI क्यों नहीं कर रहा दखल?
रुपये में तेज गिरावट की वजह से शेयर बाजार भी टूट गया।
• निफ्टी 50 26,000 के नीचे चला गया
• सेंसेक्स करीब 200 पॉइंट गिर गया
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर RBI बीच में आकर रुपये को सपोर्ट नहीं करता, तो गिरावट और बढ़ सकती है। फिलहाल RBI ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है, जिसके कारण बाजार में बेचैनी बनी हुई है।
साल 2025 में अब तक कितना गिरा रुपया?
रुपया इस साल यानी 2025 की शुरुआत से अब तक 5% गिर चुका है।
इसके साथ ही यह इस साल की सबसे खराब परफॉर्म करने वाली एशियाई करेंसी बन गया है।
क्या डॉलर के सामने रुपया और गिरेगा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाली इंडिया–US ट्रेड डील रुपये के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यह डील इसी महीने होने की उम्मीद है। अगर डील भारत के हित में होती है, तो रुपया संभल सकता है और थोड़ा मजबूत भी हो सकता है। लेकिन सब इस बात पर निर्भर करेगा कि इस डील में भारत पर कितने और किस तरह के टैरिफ लगाए जाते हैं।
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