UP BJP President: उत्तर प्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय मंत्री और अनुभवी सांसद पंकज चौधरी का नाम सबसे आगे चल रहा है। दिल्ली में हुई शीर्ष स्तर की बैठकों के बाद पार्टी के भीतर इस बात पर सहमति बनती दिख रही है कि संगठन की कमान किसी ऐसे नेता को सौंपी जाए, जो जमीनी पकड़ के साथ-साथ राजनीतिक संतुलन भी साध सके।
दिल्ली बैठक के बाद बदली तस्वीर
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर चली लंबी रणनीतिक बैठक ने प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ को लगभग साफ कर दिया। चर्चा कई नामों पर हुई, लेकिन अंततः यह तय हुआ कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में संगठन की कमान ओबीसी वर्ग से आने वाले नेता को दी जानी चाहिए।
इस मंथन में मंत्री धर्मपाल सिंह और पंकज चौधरी के नाम सामने आए, मगर अनुभव और सामाजिक समीकरण के चलते पंकज चौधरी पर सहमति बनती गई।
कुर्मी समाज में प्रभाव बना बड़ी वजह
पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय से आते हैं, जिसकी पूर्वांचल और मध्य यूपी में मजबूत उपस्थिति है। हाल के लोकसभा चुनावों में इस वर्ग के समर्थन में आई कमी ने भाजपा को रणनीति बदलने पर मजबूर किया।
पार्टी नेतृत्व अब पारंपरिक कुर्मी-ब्राह्मण-ठाकुर समीकरण को दोबारा मजबूत करना चाहता है और पंकज चौधरी इस समीकरण में फिट बैठते हैं।
जमीनी राजनीति से संसद तक का सफर
15 नवंबर 1964 को जन्मे पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत नगर निगम पार्षद के रूप में की थी। इसके बाद वे जिला संगठन से जुड़े और 1991 में पहली बार महराजगंज लोकसभा सीट से संसद पहुंचे।
समय के साथ उन्होंने जीत और हार दोनों देखी, लेकिन 2014 के बाद से लगातार लोकसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते आ रहे हैं। यही निरंतरता उन्हें संगठन के लिए भरोसेमंद चेहरा बनाती है।
केंद्र सरकार और संगठन—दोनों का अनुभव
वर्तमान में केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम कर रहे पंकज चौधरी को सरकार और संगठन के बीच समन्वय का अच्छा अनुभव है। भाजपा नेतृत्व ऐसे ही नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है, जो चुनावी प्रबंधन के साथ-साथ सरकार की नीतियों को ज़मीनी स्तर तक पहुंचा सके।
प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की तैयारियां पूरी
भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची जारी कर दी है, जिसमें सांसदों, विधायकों और संगठन पदाधिकारियों को शामिल किया गया है।
नामांकन, जांच और वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। यदि एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में रहे, तो मतदान की स्थिति भी बन सकती है।
मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें भी तेज
प्रदेश अध्यक्ष के चयन के साथ ही योगी सरकार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि धार्मिक अवधि समाप्त होते ही सरकार जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए नए चेहरे शामिल कर सकती है।
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