सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह बिना पहचान पत्र दिखाए 2000 का नोट बदलने की याचिका को बिना एक सेकंड गवाएं सुनने से साफ़ साफ़ इंकार कर दिया हैं आपको बता दें की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं जिसे तुरंत सुनना ज़रूरी हो इसके अलावा ऐसे बहुत से मामले हैं जिनकी सुनवाई इस याचिका से पहले होनी चाहिए साथ ही यह भी बताया की याचिकाकर्ता गर्मी की छुट्टी के बाद चीफ जस्टिस से सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं |
क्या कहा गया हैं याचिका में
आपको बता दें की इस याचिका में कहा गया है कि 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रकम के 2 हज़ार के नोट भ्रष्टाचारियों, माफिया या देश विरोधी शक्तियों केपास होने की आशंका है तो ऐसे में बिना पहचान पत्र देखे नोट बदलने से इन लोगों को बड़ा फायदा हो रहा है तो दूसरी और याचिकाकर्ता ने कहा है कि भारत में आज ऐसा कोई परिवार नहीं है, जिसके पास बैंक अकाउंट न हो. इसलिए, 2000 रुपए के नोट सीधे बैंक खातों में जमा होने चाहिए साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई व्यक्ति सिर्फ अपने खाते में ही नोट जमा करवा सके, किसी और के खाते में नहीं|
हाई कोर्ट ने भी की थी याचिका ख़ारिज
दरअसल इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने यह याचिका खारिज की थी जिसके बाद याचिकाकर्ता हाई कोर्ट को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट आ पहुंचे थे, तो वंही याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि नोट बदलने वाले की पहचान पुख्ता किए बिना उसे बदलने से भ्रष्ट और देश विरोधी तत्वों को फायदा हो रहा है जिसके चलते 29 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे नीतिगत विषय बताते हुए इस याचिका को ठुकरा दिया था ,सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धुलिया और के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने अपनी याचिका रखते हुए उपाध्याय ने दलील दी कि रिज़र्व बैंक का फैसला मनमाना है जिसे मंजूरी देकर हाई कोर्ट ने बिलकुल गलत किया है |

