Sitampur(U.P): जब लापरवाह अफसर ने विधायक को किया अपमानित, उजागर हुई सिस्टम की खामी जिले के हरगांव क्षेत्र के कोरैया उदनापुर गांव में बीते 20 दिनों से बिजली संकट बना हुआ था। गांव का ट्रांसफॉर्मर खराब पड़ा था, लेकिन लगातार शिकायतों के बावजूद बिजली विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस लापरवाही के बीच क्षेत्रीय विधायक और कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही ने जब खुद हस्तक्षेप करते हुए जूनियर इंजीनियर (JE) रमेश मिश्रा से फोन पर बात की, तो उन्हें हैरान करने वाला जवाब मिला। JE ने न केवल असभ्य भाषा का प्रयोग किया, बल्कि मंत्री से कहा – “खुद जाकर ट्रांसफॉर्मर ले आओ।”
JE की बदजुबानी, मंत्री ने खुद उठाया ट्रांसफॉर्मर
इस व्यवहार से आहत होकर विधायक राही ने खुद ग्रामीणों के साथ मिलकर ट्रांसफॉर्मर को अपनी गाड़ी में रखकर हुसैनगंज पावरहाउस तक पहुंचाया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही जनाक्रोश फैल गया। इसके बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने JE को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
यह घटना केवल एक कर्मचारी की बदसलूकी नहीं, बल्कि हमारे सरकारी तंत्र में फैली लापरवाही और जवाबदेही की कमी की गवाही देती है। जब एक जनप्रतिनिधि के साथ इस तरह का व्यवहार हो सकता है, तो आम जनता के साथ कैसा रवैया अपनाया जाता होगा, यह अंदाजा लगाया जा सकता है। यह घटना प्रशासनिक विफलता से ज्यादा एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाती है, जिसमें कुछ अधिकारी जनता की सेवा को बोझ समझने लगे हैं।
निलंबन नहीं, चाहिए व्यवस्था में बदलाव
JE का व्यवहार यह दिखाता है कि कुछ सरकारी कर्मचारी अपने पद की गरिमा और कर्तव्य को भूल चुके हैं। मंत्री के प्रति अपमानजनक भाषा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि लोकतंत्र और जवाबदेही के मूल्यों पर चोट है। इससे यह भी साफ होता है कि सिस्टम में अनुशासन और सेवा भावना की सख्त कमी है।
हालांकि JE का निलंबन एक जरूरी कदम था, लेकिन यह शुरुआत भर है। ऐसे मामलों में केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि अधिकारियों की सोच में बदलाव लाना जरूरी है। इसके लिए सख्त अनुशासन, कार्यप्रणाली की निगरानी और समय-समय पर नैतिकता आधारित प्रशिक्षण बेहद जरूरी हैं। साथ ही, शिकायत निवारण प्रणाली को भी प्रभावशाली बनाना होगा ताकि जनता की समस्याएं समय रहते सुलझ सकें।
अगर अब भी सरकार ने ठोस और सख्त कदम नहीं उठाए, तो इस तरह की अपमानजनक और लापरवाह घटनाएं आम होती जाएंगी, और जनता का भरोसा सरकारी तंत्र से पूरी तरह उठ जाएगा। अब वक्त आ गया है कि शासन व्यवस्था में संवेदनशीलता, जवाबदेही और अनुशासन को उसकी मूल आधारशिला बनाया जाए।
हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखित
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