Sambhal: संभल जिले के नखासा थाना क्षेत्र के राया सत्ती पुलिस चौकी में हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है। मृतक की पहचान खग्गू सराय निवासी इरफान (45) के रूप में हुई है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने इरफान को दवा लेने से रोका, जिसके चलते उनकी मौत हुई।
क्या है पूरा मामला?
सोमवार सुबह करीब 11:30 बजे शफीक बेगम नामक महिला ने नखासा थाना क्षेत्र के राया सत्ती पुलिस चौकी में प्रार्थना पत्र दिया। उसने आरोप लगाया कि उसने इरफान के माध्यम से किसी को छह लाख रुपये दिए थे, लेकिन पैसे उस व्यक्ति तक नहीं पहुंचे। इस शिकायत पर पुलिस ने इरफान को पूछताछ के लिए चौकी बुलाया।
पुलिस का कहना है कि इरफान ने चौकी में दवा लेने की बात कही, जिसे मान लिया गया। बाद में उसने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही इरफान की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है।
परिजनों के आरोप
मृतक की पत्नी रेशमा का कहना है कि उनके पति को पांच पुलिसकर्मी घर से गिरफ्तार कर ले गए। रेशमा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने इरफान को दवा नहीं लेने दी। उन्होंने यह भी बताया कि इरफान पहले से बीमार थे और हाल ही में मुरादाबाद में उनकी नाक की हड्डी का ऑपरेशन हुआ था। रेशमा के अनुसार, पुलिस की लापरवाही के कारण उनके पति की मौत हुई।
समाजवादी पार्टी का बयान
इस मामले पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,
“भाजपा सरकार के तहत उत्तर प्रदेश में हिरासत में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। संभल में पूछताछ के नाम पर व्यक्ति की मौत से जनाक्रोश भड़क उठा है। अन्याय करने वाली भाजपा सरकार अब अपने अंतिम दौर में है।”
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पुलिस का पक्ष
संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार ने परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, इरफान को दवा लेने की अनुमति दी गई थी। फुटेज में दिख रहा है कि इरफान ने पानी के साथ दवा ली और कुछ देर बाद वह चलते-चलते गिर पड़े। एसपी ने कहा कि चौकी में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। एसपी ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद मौत का सही कारण स्पष्ट होगा। पुलिस ने घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
राजनीतिक और सामाजिक विवाद जारी
इस घटना ने जिले में आक्रोश और राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे भाजपा सरकार की विफलता बताया है।