Sajid Rashidi Controversy: सार्वजनिक मंचों पर महिलाओं के प्रति अभद्र टिप्पणियों का चलन बढ़ता जा रहा है। ताज़ा मामला है समाजवादी पार्टी (SP) की सांसद डिंपल यादव पर की गई मौलाना साजिद राशिदी की विवादित टिप्पणी का, जिसने राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में भारी विरोध खड़ा कर दिया है।
क्या है मामला?
हाल ही में डिंपल यादव ने अपने पति और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली की एक मस्जिद में बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक की एक तस्वीर पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद राशिदी ने टीवी डिबेट में महिला विरोधी और अपमानजनक बयान दे डाला।
उन्होंने कहा: “डिंपल यादव ने सिर नहीं ढका, उनकी पीठ खुली हुई थी। देखिए तस्वीर में, शर्मनाक है।” साथ ही मौलाना ने दूसरी महिला सांसद इकरा हसन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने सिर ढका था।
विवाद क्यों बढ़ा?
राशिदी का यह बयान न केवल महिला गरिमा पर सीधा प्रहार है, बल्कि एक लोकसभा सांसद के प्रति अपमानजनक रवैया भी दर्शाता है। समाजवादी पार्टी के नेता प्रवेश यादव ने लखनऊ में इस बयान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कहा: “यह टिप्पणी सिर्फ डिंपल यादव नहीं, बल्कि समाज की हर महिला का अपमान है। ऐसे बयान सामाजिक सौहार्द को भी बिगाड़ते हैं।”
मौलाना राशिदी पर दर्ज हुई धाराएं
प्रवेश यादव की शिकायत के आधार पर लखनऊ पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया:
- धारा 79: महिला की मर्यादा को ठेस पहुँचाना
- धारा 196: समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना
- धारा 299: धार्मिक भावनाओं को आहत करना
- धारा 352: जानबूझकर अपमान करना
संसद में BJP का विरोध प्रदर्शन
सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसदों ने संसद के बाहर जोरदार विरोध किया और कहा: “एक महिला सांसद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” विरोध की यह लहर सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक फैल गई।
डिंपल यादव का पलटवार
इस पूरे प्रकरण पर डिंपल यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा: “मणिपुर में महिलाओं पर जो अत्याचार हुए, उनके लिए बीजेपी सांसदों ने प्रदर्शन क्यों नहीं किया?“
उनका यह बयान मौजूदा राजनीतिक माहौल में महिला सुरक्षा और सम्मान के दोहरे रवैये को उजागर करता है।
बयानबाज़ी नहीं, गरिमा चाहिए
यह घटना केवल एक विवाद नहीं है, बल्कि समाज में महिलाओं की सार्वजनिक भूमिका, धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की मर्यादा पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। चाहे वह धर्मगुरु हों या राजनेता—किसी को भी महिला के सम्मान के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है।
आज आवश्यकता है सख्त कानूनी कार्रवाई और सामाजिक चेतना की, ताकि हर मंच पर महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित हो सके।
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