Pm Modi US Visit: पीएम मोदी कल यानी शनिवार 21 सितंबर से अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इससे पहले भी बतौर पीएम वह अब-तक 8 बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी से पहले भी भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका का कई बार दौरा कर चुके हैं। जिसमें पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाला नेहरु अपने कार्यकाल में 4 बार अमेरिका दौरे पर रहे तो वहीं मनमोहन सिंह ने 8 बार यह यात्रा की हैं।
पीएम मोदी अमेरिका में 21 से 23 सितंबर तक दिन दिवसीय दौरे पर रहेंगे, जिसमें पीएम अमेरिका में होने वाले क्वाइ नेताओं के चौथे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी में 21 सितंबर को डेलावेयर के विलमिंगटन में आयोजित किया जाएगा।
कौन कितनी बार कर चुका है अमेरिकी यात्रा
ऐसा पहली बार नहीं हैं कि भारतीय पीएम अमेरिकी दौरे पर हैं।, इनसे पहले भी कई पूर्व पीएम अमेरिकी यात्रा कर चुके है। जिनमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह 8 बार तो वहीं प्रथम पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरु 4 बार यह यात्रा कर चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी भी 4 बार मोरारजी देसाई ओर RK गुजराल एक बार इस यात्रा को कर चुके है। तो वहीं इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी ने भी यह यात्रा 3 बार करी।
क्या हैं अमेरिकी दौरे का मकसद
पीएम मोदी अमेरिका के तीन दिन के इस दौरे में कई आयोजनों में शामिल होंगे। जिसमें 21 सितंबर को मोदी डेलावेयर के विलिंगटन में चौथे क्वाड लीडर्स समिट में शामिल होंगे। तो वहीं 22 सितंबर को वह न्यूजर्सी में भारतीय समुदाय से जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी अपने दौरे के आखिरी दिन 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ में भी हिस्सा लेंगे।
पहले भारत में होनी थी क्वाड की बैठक
बता दें क्वाड की बैठक पहले भारत में ही होनी थी लेकिन किसी कारण इसे टाल दिया गया, जिसके बाद इस बैठक को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के होमटाउन डेलावेयर में करने का फैसला हुआ। अब ये बैठक 21 सितंबर को जो बाइडन के होमटाउन डेलावेयर में होगी। इस समिट में इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन की द्विपक्षीय मुलाकात होगी। इसके अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठकें होंगी। साथ ही पीएम मोदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी पर कई बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ मुलाकात करेंगे।
क्या हैं क्वाड समिट
क्वाड समिट चार देशों का एक गठन हैं। जिसमें भारत के अलावा अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश शामिल हैं। इसका गठम 2007 में हुआ था और इसे 2017 में रिएक्टिव किया गया था। इस संगठन का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकना है।