मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। उत्तर प्रदेश की भाजपा कार्यकर्ता रानी चौरसिया ने सवाल पूछा कि तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम भाई-बहनों का भ्रम कैसे दूर करें? इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।’
तीन तलाक का इस्लाम से कोई संबंध नहीं
उन्होंने तीन तलाक को लेकर कहा कि तीन तलाक का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है। अगर इसका संबंध इस्लाम से होता, तो दुनिया के मुस्लिम बहुल देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90 फीसदी से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। आज से 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है। अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है। मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। इसीलिए मेरी मुस्लिम बहनें, बेटियां भाजपा और मोदी के साथ खड़ी हैं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे कहा कि ‘जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वकालत करते हैं, ये वोटबैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। तीन तलाक से नुकसान का दायरा बड़ा है। बहुत अरमानों से पिता अपनी बेटी को ससुराल भेजता है। जब 8-10 साल बाद बेटी वापस आती है, तो उसका भाई, पिता सब बेटी की चिंता में दुखी हो जाते हैं।