Noida: नोएडा शहर को सुरक्षित बनाने के लिए ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ को अंतिम मंजूरी दे दी गई है। इस 212 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत शहर के 561 लोकेशनों पर 2,100 अत्याधुनिक हाई-टेक कैमरे लगाए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को फाइनल कर अनुमोदन के लिए आईआईटी दिल्ली भेजा गया है। आईआईटी से हरी झंडी मिलते ही दिसंबर में इस परियोजना के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर कंपनियों से आवेदन मांगे जाएंगे।
अत्याधुनिक नाइट विजन और फेस डिटेक्शन तकनीक
परियोजना में लगाए जाने वाले कैमरों को नाइट विजन और फेस डिटेक्शन जैसी तकनीकों से लैस किया जाएगा। ये कैमरे पहले से स्थापित इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ISTMS) से अलग होंगे और इनका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा। इन कैमरों का उपयोग यातायात नियमों का उल्लंघन पकड़ने के बजाय अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जाएगा।
कैमरों की खासियत
- वाहनों की नंबर प्लेट और अंदर बैठे लोगों की पहचान साफ-साफ की जा सकेगी।
- इन कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए अलग से कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।
- कंट्रोल रूम को पुलिस मुख्यालय से जोड़ा जाएगा ताकि किसी भी घटना की सूचना तुरंत संबंधित पुलिस स्टेशन या डायल-112 को दी जा सके।
बदमाशों की हर गतिविधि पर नजर
‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ के तहत पुलिस के पास उपलब्ध अपराधियों के डेटा को इन कैमरों से जोड़ा जाएगा। यदि कोई वांछित अपराधी इन कैमरों की रेंज में आता है, तो उसकी लाइव लोकेशन और संबंधित डेटा तुरंत कंट्रोल रूम में दिखेगा। यह तकनीक पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने में मदद करेगी।
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महिलाओं की सुरक्षा और SOS बटन
परियोजना के तहत हर थाने और पुलिस चौकी में मॉनिटरिंग स्क्रीन लगाई जाएगी। इन स्क्रीन पर दो विशेष घटनाओं के लिए अलग-अलग रंग में अलर्ट दिखाई देंगे:
- जहां कोई महिला अकेली खड़ी होगी।
- जहां भीड़-भाड़ के कारण किसी घटना की आशंका होगी।
इसके अलावा, शहर के विभिन्न स्थानों पर ‘सेव अवर सोल’ (SOS) बटन लगाए जाएंगे। इन बटनों का उपयोग आपात स्थिति में तुरंत पुलिस को अलर्ट करने के लिए किया जा सकेगा।
2025 तक प्रोजेक्ट होगा पूरा
परियोजना को 6 से 9 महीने के भीतर पूरा करने की योजना बनाई गई है। चयनित कंपनी सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाने, पोल लगाने और पुलिस को मॉनिटरिंग की ट्रेनिंग देने का कार्य करेगी। उम्मीद है कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना 2025 तक पूरी तरह लागू हो जाएगी।

