Noida News: नोएडा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। वहीं इसमें सबसे अहम हिंडन नदी में प्रदूषण फैलाने का काम बहलोलपुर कर रहा है। यहां अब भी कपड़े रंगने का काम अवैध रूप से लगातर जारी है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ऐसी आठ अवैध फैक्ट्रियों को चिह्नित किया है। जिला पर्यावरण समिति की बैठक में मुद्दा उठने के बाद अब इनकी बिजली काटने और बंद कराने का आदेश नोएडा जिलाधिकारी ने दिया है। इसी साल मई के अंत में हिंडन का पानी लाल होने के बाद यहां डाई इंडस्ट्री के अवैध रूप से चलने पर जिम्मेदारों की निगाह गई थी। इसके बाद 30 फैक्ट्रियां बंद कराई गईं। इनमें से 16 के बिजली कनेक्शन भी विद्युत निगम ने काटे। अब फिर से यहां कपड़ों को रंगने के काम शुरू होने से यूपीपीसीबी और बिजली विभाग दोनों पर सवाल उठ रहे हैं।
अधिकारी ने जांच की बात कही
इसके अलावा नोएडा और गाजियाबाद दोनों तरफ से गिर रहे नाले भी सीवर और कूड़ा सीधे नदी में गिरा रहे हैं। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि जिला पर्यावरण समिति में यह मुद्दा उठा था। डीएम के निर्देश पर बहलोलपुर में बिजली विभाग की मदद से फिर से कार्रवाई की जानी है। वहीं, बिजली विभाग के अधिकारी अभियंता डिवीजन-एक शिवम त्रिपाठी का कहना है कि जो कनेक्शन पहले काटे गए थे। उनमें से कोई दोबारा जोड़ा नहीं गया है। अगर वहां कोई भी अवैध रूप से बिजली उपयोग हो रहा है तो उसे तुरंत बंद कराया जाएगा। इसके लिए टीम जांच करेगी।
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नहाने-धोने लायक नहीं बचा है पानी
यूपीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडन नदी का पानी ई-श्रेणी का है। जहां टोटल कोलीफार्म ट्रीटमेंट करने के बाद उपयोग में लेने के लिए 5000 एमपीएन प्रति 100 मिलीलीटर होना चाहिए। वह अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों में नोएडा के अंदर चार लाख के करीब यानी 80 गुना अधिक मिल रहा है। टोटल कोलीफाॅर्म सीवर का पानी मिलने की वजह से बढ़ता है। इसी तरह नदी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा भी न्यूनतम है। यह अपस्ट्रीम में 1.2 और डाउनस्ट्रीम में शून्य मिलीग्राम प्रति लीटर मिल रही है। यह एक तरह से नदी के मृतप्राय होने का संकेत है। जानकारों का कहना है कि हिंडन नदी से भूगर्भ जल भी रिचार्ज होता है। ऐसे में भूगर्भ जल के भी दूषित होने का खतरा इससे बना हुआ है।
एनजीटी के निर्देश का उल्लंघन
हिंडन नदी में सीवर और डाई फैक्ट्री का पानी घुलने का खतरा अब तक बना हुआ है। वहीं, बहलोलपुर में ही नदी किनारे पोर्क के लिए पशुओं का कटान भी अवैध रूप से हो रहा है। जबकि, एनजीटी के निर्देश पर खुले में पशुओं का कटान नहीं हो सकता है। चोरी-छिपे पशु कटान करने के लिए नदी किनारे ही अस्थायी बाड़े बना लिए गए हैं।