Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आज यानी मंगलवार को अमृत स्नान हो रहा है। सुबह से ही लाखों श्रद्धालु पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। इसके अलावा 13 अखाड़ों के जत्थे भी अमृत स्नान के लिए महाकुंभ पहुंच रहे हैं। गौरतलब है कि आज मकर संक्रांति का पर्व भी है, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया है।
कौन करेगा अमृत स्नान?
फिलहाल अखाड़ों के मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात है, पीएसी, घुड़सवार पुलिस और अर्धसैनिक बल लगातार गश्त कर रहे हैं। इस पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के चलते इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना आसान हो गया है। नागा साधु भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। बताया गया है कि श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा सुबह 9:40 बजे अपनी छावनी से निकलकर 10:40 बजे घाट पर पहुंचा। इसके बाद श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा सुबह 10:20 बजे प्रस्थान किया और 11:20 बजे घाट पर पहुंचा। इसी तरह श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा सुबह 11:20 बजे अपने शिविर से निकलकर दोपहर 12:20 बजे घाट पर पहुंचा। सब कुछ उसी हिसाब से योजनाबद्ध और निर्धारित है और समय के अनुसार व्यवस्थाएं की गई हैं।
शाही स्नान क्यों खास है?
शाही स्नान को अमृत स्नान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें नागा साधु और अन्य संत हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर भव्य जुलूस के रूप में स्नान के लिए पहुंचते हैं। यह नजारा राजा के जुलूस जैसा होता है। प्राचीन काल में राजा-महाराजा भी ऋषि-मुनियों के साथ स्नान करते थे, यही वजह है कि इसे शाही स्नान के नाम से जाना जाने लगा।
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अमृत स्नान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है। नागा साधुओं, अघोरियों और अन्य संतों की मौजूदगी हिंदू धर्म की विविधता को दर्शाती है। इस दौरान दान-पुण्य, भजन-कीर्तन और मंदिर दर्शन जैसी गतिविधियां की जाती हैं। महाकुंभ सिर्फ आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का भी अवसर है। अमृत स्नान के जरिए लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और नई ऊर्जा के साथ जीवन जीने की प्रेरणा लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि नदियों के संगम में स्नान करने से जीवन के सभी दुख और पाप धुल जाते हैं।