Karnataka News: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा पिछले कुछ दिनों से तेज है। इसी बीच आज सुबह (29 नवंबर) उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मिलने उनके घर पहुंचे। दोनों नेताओं ने साथ में नाश्ता किया और राजनीतिक हालात पर लंबी बातचीत हुई।
मुलाकात के दौरान सिद्धारमैया ने साफ कहा कि वे पार्टी जिस तरह का फैसला लेगी, उसी के अनुसार कदम उठाएंगे। चर्चा खत्म होते ही शिवकुमार के दिल्ली रवाना होने की भी जानकारी सामने आई है।
के.सी. वेणुगोपाल की सख्त सलाह
27 नवंबर की शाम इस पूरे मसले में एक अहम मोड़ आया, जब कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने दोनों नेताओं को फोन करके साफ कहा कि सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे पर टिप्पणी करना कांग्रेस की शैली नहीं है। उन्होंने सलाह दी कि दोनों नेता दिल्ली आने से पहले अपने मतभेद आपस में ही सुलझा लें। वेणुगोपाल ने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही दोनों को दिल्ली बुलाकर हाईकमान की मौजूदगी में इस विवाद पर अंतिम बातचीत की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी की एकजुटता सबसे महत्वपूर्ण है और अंतिम फैसला कांग्रेस नेतृत्व ही लेगा। इसलिए किसी तरह की सार्वजनिक भिड़ंत से बचें।
गृह मंत्री जी. परमेश्वर की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कुछ लोग शिवकुमार को सीएम बनते देखना चाहते हैं, कुछ सिद्धारमैया को ही बनाए रखने के पक्ष में हैं और कुछ मुझे भी इस पद पर देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जनता अपनी पसंद और उम्मीदें जताती ही है, इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन यह भी साफ किया कि अंतिम फैसला हाईकमान का ही होगा।
आखिर क्यों हो रहा है विवाद ?
कहा जाता है कि कर्नाटक में सरकार बनने के समय सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच एक ढाई-ढाई साल का समझौता हुआ था। यानी ढाई साल तक सिद्धारमैया मुख्यमंत्री रहेंगे और बाद में शिवकुमार को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। 20 नवंबर को सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे हो गए, जिसके बाद से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर से तेज हो गई हैं। शिवकुमार के समर्थक पहले भी कई बार उनकी दावेदारी की मांग उठाते रहे हैं।
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