Kanwar Yatra 2025: सावन के पवित्र महीने में जहां एक ओर शिवभक्त कांवड़ लेकर भक्ति में लीन हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक आस्था को लेकर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नया विवाद खड़ा हो गया है। ‘हिंदू रक्षा दल’ नामक संगठन ने सावन माह के दौरान मांसाहारी भोजन की बिक्री को धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताते हुए कई फूड चेन रेस्टोरेंट्स पर प्रदर्शन किया।
KFC और Nazeer Foods में घुसकर किया प्रदर्शन
गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र में मंगलवार को यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब ‘हिंदू रक्षा दल’ के कार्यकर्ता हाथों में भगवा झंडे लेकर सीधे KFC रेस्टोरेंट के अंदर घुस गए। प्रदर्शनकारियों ने वहां मौजूद कर्मचारियों से बदसलूकी की और नारेबाजी करते हुए कहा कि सावन माह में मांस की बिक्री हिंदू आस्था का अपमान है।
कार्यकर्ताओं ने “जय श्रीराम”, “सावन में मांस नहीं चलेगा” जैसे नारे लगाए और रेस्टोरेंट का शटर जबरन बंद करा दिया। एक महिला कर्मचारी द्वारा समझाने की कोशिश के बावजूद प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए और आक्रामक रवैया अपनाए रखा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
Nazeer Foods पर भी विरोध
KFC के बाद ‘हिंदू रक्षा दल’ के कार्यकर्ता Nazeer Foods पहुंचे और वहां भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान एक युवक कैमरे में कहते नजर आया, “ये हिंदुस्तान है, यहां जो हिंदू चाहेगा वही होगा।” यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इंटरनेट पर बहस का विषय बन गया।
सोशल मीडिया पर मचा घमासान
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोगों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद पर हमला बताया है, वहीं कुछ यूजर्स ने हिंदू धार्मिक भावनाओं के सम्मान की बात भी की है।
यह बहस अब संविधानिक अधिकारों, सामाजिक सहिष्णुता और व्यवसायिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों तक पहुंच गई है। कई यूजर्स का कहना है कि व्यवसाय बंद कराना या जबरन धार्मिक नियम थोपना संविधान के खिलाफ है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
प्रदर्शन के दौरान पुलिस मौके पर नज़र नहीं आई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर जांच की बात जरूर कही गई है।
धार्मिक भावनाओं और कानूनी व्यवस्था के बीच टकराव
गाजियाबाद की यह घटना केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह धार्मिक आस्था और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन की एक जटिल चुनौती को उजागर करती है। सावन का महीना भक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में ऐसे घटनाक्रम समाज में तनाव पैदा कर सकते हैं। यह ज़रूरी है कि सभी पक्ष संयम बरतें और प्रशासन सुनिश्चित करे कि कानून का पालन हर हाल में हो।
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