कानपुर देहात में जिस तरह से मां बेटी ने मौत को गले लगया उससे पूरे गांव में मानों दुख के बादल फट पड़े हों। जब प्रशासन का बुलडोजर उस घर पर चला तो न सिर्फ वो घर खंडहर में तब्दील हुआ बल्कि किसी परिवार की हंसती खेलती जिंदगियां उस मिट्टी में कंकाल के रूप में समा गईं जो अब कभी भी इस धरती पर नजर नहीं आएगी भले ही कुछ दिनों में लोग इस मामले को भूल जाएं लेकिन परिवार उस परिवार के सीने में हमेशा इस दुख की आग जलती रहेगी।
सवाल सीधा है ऐसा प्रशासन किस काम का जो इंसानियत को अपनी पावर के आगे नकमस्तक कर दे क्यों कि कहा तो ये भी जा रहा है पुलिस का अमला चाहता तो उन दोनों को बचा सकता था ये मैं नहीं कह रही बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं।
हालांकि अब पुलिस कल रात वहां उसकी तैनाती एक दिखावा, हालांकि योगी का बुल्डोजर हमेशा से दबंगों के खिलाफ चला है लेकिन इस पर जो हुआ उससे सवाल उठना लाजमी हैं फिर से योगी बाबा ने तुरंत एक्शन लिया जिससे उन पर सवाल उठाए जा सकते प्रशासन एक समय बोलती बंद है लेकिन उन दुख भरी चीखों का भुकताना कौन करेगा
मड़ौली गांव में मंगलवार रात पहुंचे कमिश्नर राजशेखर, एडीजी आलोक सिंह और आईजी प्रशांत कुमार परिवार के लोगों से लगातार वार्ता करते रहे। घटना से परिजनों व ग्रामीणों में रोष रहा। परिजन मुआवजे व सरकारी नौकरी की बात पर अड़े तो अधिकारी पल-पल की रिपोर्ट शासन को भेजते रहे। परिजनों में महिलाएं और बच्चे पूरी रात घटना स्थल पर ही रहे।
हद तो तब हो गई जब घटना के बाद से मां बेटी के शव खुले में उसी हालत में पड़े रहे। इस दौरान किसी ने उन पर चादर तक नहीं डाला। इससे लोगों में नाराजगी रही। ग्रामीणों का कहना था कि मौके पर मौजूद प्रशासन ने जरा भी संवेदना नहीं दिखाई। किसी ने शवों को ढकने पर ध्यान नहीं दिया। मंगलवार की दोपहर बाद जब डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने आश्वासन तो दिया लेकिन फिर भी पुलिस ने एक न सुनी
और अब तो इस पर सियासत की रोटियों को सेकने का भी प्रयास चालू हो गया है, लेकिन अगर इस पर भी सियासी नाटक होगा तो ये हमारे समाज और नए भारत के लिए कितना जायज है
मौके पर मौजूद परिजनों के बिलखने की आवाज व गांव पहुंच रहे अधिकारियों की गाड़ियों के हूटरों का शोर सन्नाटा तोड़ता रहा। पत्नी व बेटी को खोने का गम कृष्ण गोपाल को खाए जा रहा था। कभी वह जमीन में एक टक ताकते रहते तो कभी आसमान को देखने लगते। परिवार के अन्य सदस्यों के सुबकने पर छोटे बच्चे उनसे चिपट के रोते रहे।

