Kannauj News: समाजवादी पार्टी को एक बार फिर प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। जिले के चर्चित सपा नेता कैश खां सहित चार लोगों को जिलाबदर कर दिया गया है। यह कार्रवाई गुंडा एक्ट के तहत की गई है और इन सभी को छह महीने के लिए जिले से बाहर कर दिया गया है।
इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब सामने आया कि सिर्फ 5 दिन पहले ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कैश खां के घर गए थे। ऐसे में इस प्रशासनिक निर्णय को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है।
किस पर हुई कार्रवाई?
कन्नौज प्रशासन ने गुंडा एक्ट के तहत जिन चार लोगों को जिलाबदर किया है, उनमें शामिल हैं:
- कैश खां — समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता, जिन पर पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
- मेजर यादव — निवासी कल्याणपुर, छिबरामऊ
- दीपू यादव — निवासी कल्याणपुर
- विक्रम उर्फ सांवरिया यादव — निवासी कल्याणपुर
इन चारों पर शांति भंग करने, असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होने और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के गंभीर आरोप हैं। जिलाधिकारी (DM) की संस्तुति पर पुलिस प्रशासन ने यह कार्रवाई की।
गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई क्यों जरूरी पड़ी?
प्रशासन का कहना है कि इन लोगों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। उनके आपराधिक इतिहास, समाज में डर फैलाने और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए गुंडा नियंत्रण अधिनियम (Goonda Act) के तहत कार्रवाई की गई।
जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सभी की गतिविधियां जिले में अराजकता फैलाने वाली पाई गईं। ऐसे में जिलाबदर की सजा दी गई ताकि आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राजनीतिक पृष्ठभूमि पर उठ रहे सवाल
सपा नेता कैश खां पर हुई इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल है। विशेष रूप से इसलिए क्योंकि हाल ही में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव खुद उनके घर पहुंचे थे।
हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया और सबूतों के आधार पर लिया गया है, ना कि किसी राजनीतिक दबाव में।
स्थानीय प्रशासन की चेतावनी
कन्नौज पुलिस का कहना है कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। जिलाबदर के बाद इन चारों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी और जिले की सीमा में प्रवेश पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
अपराध और अराजकता के खिलाफ प्रशासन का सख्त रुख
सपा नेता सहित चार लोगों को जिलाबदर कर कन्नौज प्रशासन ने यह संकेत दे दिया है कि चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अपराध या अराजकता की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह कार्रवाई आम जनता में विश्वास पैदा करने के साथ ही अपराधियों में डर और कानून का सम्मान स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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