Hormuz Strait: मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच ईरान की संसद ने अमेरिकी हमले के जवाब में फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाले होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम निर्णय शीर्ष सुरक्षा निकाय की सहमति से ही लिया जाएगा, लेकिन इस चेतावनी ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हलचल मचा दी है।
यह जलमार्ग न केवल दुनिया का सबसे व्यस्त समुद्री तेल रूट है, बल्कि हर दिन लगभग 30% वैश्विक कच्चे तेल और एक तिहाई एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) की आपूर्ति इसी से होती है। ऐसे में इसके बंद होने की आशंका भर से ही तेल के दाम आसमान छू सकते हैं।
कितना पड़ेगा असर?
भारत सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए रणनीतिक कदम उठाए हैं। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया है कि भारत के पास कई हफ्तों की तेल आपूर्ति का भंडार मौजूद है और हमारी आयात व्यवस्था अब विविध मार्गों पर आधारित है।
भारत प्रतिदिन लगभग 55 लाख बैरल कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से केवल 20 लाख बैरल ही होर्मुज मार्ग से आता है। शेष आपूर्ति रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे वैकल्पिक स्रोतों से की जाती है।
रूस से आने वाला तेल सुरक्षित क्यों है?
पुरी ने बताया कि रूस से आने वाला तेल होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर नहीं आता। यह तेल स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के रास्ते भारत तक पहुंचता है। इस कारण रूस से तेल आपूर्ति फिलहाल सुरक्षित मानी जा रही है।
हालांकि, अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए स्रोतों से आयात करना महंगा जरूर है, लेकिन यह तेजी से व्यवहार्य और टिकाऊ विकल्प बन रहा है।
ऊर्जा सुरक्षा पर विशेषज्ञों की राय
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण कुमार बेहरा का मानना है कि होर्मुज जैसे संकीर्ण और रणनीतिक जलमार्ग का बंद होना भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर सीधा असर डालेगा। इराक और सऊदी अरब जैसे देशों से होने वाला तेल आयात प्रभावित हो सकता है।
बीमा प्रीमियम और ढुलाई लागत में बढ़ोतरी
भारतीय नौसेना के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा (सेवानिवृत्त) ने चेतावनी दी कि नौवहन मार्ग में कोई भी बाधा बीमा प्रीमियम में वृद्धि करेगी। इसका सीधा असर तेल ढुलाई की लागत पर पड़ेगा, जिससे अंततः आम उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है।
कीमतों में तेजी की आशंका
वैश्विक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तनाव और बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इससे न केवल तेल उत्पादों के दाम बढ़ेंगे, बल्कि मुद्रा अस्थिरता और विनियोजन में कमी जैसी आर्थिक चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं।
ईरान के लिए हो सकता है आत्मघाती कदम
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रूबिन ने कहा कि यदि ईरान होर्मुज मार्ग बंद करता है तो इसका नुकसान उसे खुद झेलना पड़ेगा। एशिया में जाने वाला 44% तेल इसी मार्ग से होकर जाता है, जिसका बड़ा हिस्सा चीन को निर्यात होता है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश जैसे ब्रिटेन और फ्रांस इस पर सख्त प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
भारत-पश्चिम एशिया व्यापार पर संभावित असर
पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से भारत के इन देशों के साथ व्यापार पर भी असर पड़ेगा। भारत इन देशों को सालाना 8.6 अरब डॉलर का निर्यात और 33.1 अरब डॉलर का आयात करता है। शिपिंग मार्ग के अवरुद्ध होने से माल ढुलाई खर्च में भी वृद्धि होना तय है।
भारत तैयार, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत
भले ही भारत ने अपनी ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाकर जोखिम को काफी हद तक कम किया है, लेकिन वैश्विक बाजारों की अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी तरह से टालना मुश्किल है। भारत को अपनी रणनीतिक तेल भंडारण, वैकल्पिक आपूर्ति नेटवर्क और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
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