Ghaziabad: हिंडन नदी में बढ़ते प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार और पर्यावरण से जुड़ी केंद्रीय और राज्य एजेंसियों को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 19 मार्च 2025 तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
प्रदूषण के पीछे औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज मुख्य कारण
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हिंडन नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट और अपर्याप्त सीवेज उपचार सुविधाएं हैं। सहारनपुर में शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली यह नदी उत्तर प्रदेश के सात जिलों से होकर गुजरती है। इसमें प्रतिदिन 357 उद्योगों से लगभग 72,170 किलोलीटर औद्योगिक अपशिष्ट और 94.3 करोड़ लीटर घरेलू सीवेज का प्रवाह हो रहा है, जिससे नदी की जल गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
जल गुणवत्ता में गिरावट चिंता का विषय
एनजीटी ने पाया कि हिंडन नदी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से जल गुणवत्ता के मीट्रिक में निरंतर गिरावट दर्ज हो रही है। विशेषज्ञ रिपोर्ट के अनुसार, 22 करोड़ लीटर पानी प्रतिदिन बिना उपचार के नदी में बहा दिया जाता है, जो जल प्रदूषण को और बढ़ाता है। यह स्थिति जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।
एनजीटी ने उठाए कड़े कदम
एनजीटी ने इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेते हुए राज्य और केंद्रीय पर्यावरण एजेंसियों को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं। पीठ ने कहा कि हिंडन नदी की जल गुणवत्ता में सुधार लाने और प्रदूषण रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाने की जरूरत है। एनजीटी ने संबंधित एजेंसियों को निर्देशित किया है कि वे नदी में प्रदूषण रोकने के लिए अपनी रणनीति और कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें।
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हिंडन नदी के भविष्य पर मंडरा रहा खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नदी में प्रदूषण पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया, तो इसका असर न केवल आसपास के पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि इसके जल संसाधनों का उपयोग करने वाले लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा। एनजीटी का यह कदम हिंडन नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है।