Ghaziabad: नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त निर्देश के बाद लोनी में यमुना नदी के मोड़ पर चल रहे सड़क निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। हालांकि, दिल्ली और गाजियाबाद के बीच सड़क निर्माण के दौरान यमुना के प्राकृतिक बहाव को रोकने के लिए लगाई गई मिट्टी भरी बोरियां अभी भी जस की तस पड़ी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें हटाने के लिए एनजीटी को अलग से निर्देश जारी करने पड़ सकते हैं।
एनजीटी ने अपने नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा है कि इस सड़क का निर्माण यमुना के प्राकृतिक बहाव में बाधा डालता है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के बहाव को रोकने या मोड़ने के गंभीर और लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकते हैं। यह प्रकृति के साथ सीधी छेड़छाड़ मानी जाएगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन पर गहरा असर पड़ेगा।
रेत खनन के लिए बनाई जा रही थी सड़क
इस सड़क का निर्माण दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर किया जा रहा था, जिसे क्षेत्र में रेत खनन के लिए अधिकृत पट्टाधारक द्वारा शुरू किया गया था। सड़क निर्माण के लिए यमुना नदी के बहाव को रोका गया था। नदी के तल पर लकड़ी के तख्ते बांधकर उन्हें रेत की बोरियों से सहारा दिया गया, ताकि खनन के लिए वाहनों को आवागमन में सुविधा मिल सके।
रेत खनन पट्टे की आड़ में निर्धारित सीमा से अधिक खनन करना अब आम बात हो गई है। लोनी में हुए इस प्रकरण पर एनजीटी ने कड़ा संज्ञान लिया है। इस मामले में केंद्र सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), यूपी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित जिला मजिस्ट्रेट गाजियाबाद को जवाब तलब किया गया है।
एनजीटी ने इन्हें बनाया पक्षकार
एनजीटी के 16 दिसंबर के आदेश में अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वी. ने कई संस्थाओं और अधिकारियों को पक्षकार बनाया। गाजियाबाद और उत्तरी दिल्ली के जिलाधिकारी, सीपीसीबी, यूपीपीसीबी, डीपीसीबी और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी इस मामले में पार्टी बनाया गया है।
खनन अधिकारी ने क्या कहा?
गाजियाबाद के खनन अधिकारी सौरव चतुर्वेदी ने कहा कि एनजीटी के निर्देशानुसार सड़क निर्माण कार्य को तुरंत रोक दिया गया है। यमुना के बहाव को रोकने के लिए लगाए गए सैंड बैग जल्द ही हटा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सैंड बैग के सूखने के बाद उन्हें हटाना आसान हो जाएगा और एनजीटी के आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
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पर्यावरणविदों की चिंता
पर्यावरणविदों का कहना है कि यमुना के बहाव के साथ छेड़छाड़ गंभीर पारिस्थितिकीय संकट पैदा कर सकती है। इससे न केवल नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा पहुंचेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और भी भयावह हो सकते हैं। एनजीटी का यह कदम पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।