Ghaziabad News: एनसीआर के गाजियाबाद शहर में पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के लिए एक अहम पहल शुरू हो गई है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने मधुबन बापूधाम योजना के एसटीपी परिसर की करीब 2700 वर्गमीटर खाली जमीन पर मियावाकी पद्धति से जंगल विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना के तहत यहां घने, छायादार और फलदार पौधे लगाए जाएंगे, जो भविष्य में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को ताजी हवा और हरियाली प्रदान करेंगे।
मियावाकी पद्धति से होगा पौधरोपण
गाजियाबाद में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए जीडीए हरियाली पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसी कड़ी में उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने निर्देश दिए हैं कि निर्माणाधीन योजनाओं में अधिक से अधिक छायादार और फलदार पौधे लगाए जाएं। मधुबन बापूधाम में एसटीपी परिसर की जमीन को समतल कर यहां पौधरोपण मियावाकी पद्धति से किया जाएगा। इस पद्धति के तहत घने और जैव विविधता से भरपूर जंगल तैयार होंगे, जो प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी साबित होंगे।
परियोजना का खर्च और कार्यप्रगति
जमीन समतल करने का काम शनिवार को शुरू कर दिया गया है, ताकि बरसात के मौसम में पौधरोपण किया जा सके। इस परियोजना पर करीब 27 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी। जीडीए के उद्यान अनुभाग के अधिकारी इस पूरे प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।
बनेगा पर्यटन स्थल
इस जंगल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए चारों ओर फुटपाथ बनाए जाएंगे ताकि लोग सुबह-शाम यहां आराम से घूम सकें। साथ ही, बैठने के लिए बेंच लगाई जाएंगी। अधिकारियों का कहना है कि यहाँ पर पशु-पक्षियों की आकृतियों को लगाने पर भी विचार किया जा रहा है, जिससे यह स्थल और भी आकर्षक बनेगा।
लगाए जाएंगे फलदार और छायादार पौधे
इस जंगल में विभिन्न प्रकार के फलदार और छायादार पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें पीपल, नीम, सहजन, लाल कनेर, आम, कटहल, जामुन, अमरूद, आंवला, केला, खजूर, बेल, अनार, नींबू, शहतूत, बेर, अंजीर, फालसा, कदम, अमलतास, कचनार, चॉदनी, टिकोमा, गुडहल आदि शामिल हैं। इन पौधों से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा।
उपाध्यक्ष अतुल वत्स का बयान
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने कहा, “मधुबन बापूधाम में एसटीपी परिसर की जमीन पर जंगल बसाने की योजना है। काम शुरू कर दिया गया है। यह स्थान जल्द ही एक सुंदर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा, जहां लोग प्रकृति के बीच समय बिता सकेंगे।”
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