Ghaziabad News: शहर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर गाजियाबाद के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं। इसमें किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डीएम ने अधिकारियों को जिले में चिन्हित छह प्रदूषण हॉटस्पॉट पर कड़ी निगरानी रखने के भी निर्देश दिए हैं।
ये हैं जिले के छह हॉटस्पॉट
डीएम ने बताया कि साहिबाबाद, राजनगर एक्सटेंशन, लोनी, भोपुरा बॉर्डर, वसुंधरा और सिद्धार्थ विहार को प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है। इन क्षेत्रों पर विशेष निगरानी की जरूरत है। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन क्षेत्रों में कूड़ा न जलाया जाए और निर्माण सामग्री खुले में न छोड़ी जाए। परिवहन की जाने वाली निर्माण सामग्री को उचित रूप से ढका जाए और कचरा ले जाने वाले वाहनों को भी ढका जाए।
प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने अधिकारियों को प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए हैं। प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए। नगर निगम को चाहिए कि वह सुनिश्चित करे कि धूल उड़ने से रोकने के लिए मशीनों से सड़कों की सफाई हो। जीआरएपी (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) का अनुपालन सख्ती से कराया जाए।
एक सप्ताह में वसूला 23 लाख रुपये जुर्माना
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 15 अक्टूबर से जीआरएपी लागू करने के बाद पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। 15 से 21 अक्टूबर तक बोर्ड ने निर्माण सामग्री खुले में रखने या परिवहन करने वाली आठ इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की। इन इकाइयों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 23 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
वसुंधरा और लोनी में भी बुरा हाल
गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार बढ़ रहा है। सोमवार शाम को एक्यूआई 276 दर्ज किया गया, जो एक ही दिन में करीब 30 अंक बढ़कर रेड जोन के करीब पहुंच गया। गाजियाबाद में लोनी और वसुंधरा सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहे, जहां एक्यूआई 300 को पार कर रेड जोन में पहुंच गया।
सांस के मरीजों के लिए सलाह
जन स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ. आर.के. गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि जब वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में पहुंच जाता है तो सांस के मरीजों के लिए स्थिति जानलेवा हो सकती है। ऐसे लोगों को सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचना चाहिए और मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।