Delhi News: आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने उनके बंगले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। CVC के मुताबिक, केजरीवाल ने नियमों की अनदेखी कर 40 हजार स्क्वायर यार्ड में फैले आलीशान बंगले का निर्माण कराया। इस मामले में अब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) भी विस्तृत जांच करने जा रहा है।
शीशमहल विवाद से नहीं मिल रही राहत
केजरीवाल लंबे समय से अपने बंगले के भव्य रेनोवेशन को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं। करोड़ों रुपये की लागत से हुए इस रेनोवेशन पर विपक्ष ने कई सवाल उठाए थे। यह मुद्दा दिल्ली चुनाव के दौरान भी चर्चा का विषय बना और आम आदमी पार्टी को इस विवाद का राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा। अब चुनावी नतीजों के बाद CVC ने इस मामले में और सख्ती दिखाते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि, इस पर अब तक आम आदमी पार्टी या खुद अरविंद केजरीवाल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बीजेपी का क्या कहना है?
बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने पिछले साल ही CVC को पत्र लिखकर इस बंगले की जांच की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बंगले के रेनोवेशन और निर्माण कार्य के दौरान सभी नियमों की अवहेलना की गई। उनके मुताबिक, निर्माण के दौरान ग्राउंड कवरेज और फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) के नियमों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि भव्य बंगला बनाने के लिए आसपास की कई सरकारी संपत्तियों को तोड़ा गया। अब CVC इस मामले की गहराई से जांच करने वाली है।
कैसे शुरू हुआ शीशमहल विवाद?
शीशमहल विवाद की जड़ 2020 में कोविड महामारी और लॉकडाउन के दौरान देखी गई छत की टूट-फूट की घटनाओं से जुड़ी है। 1942 में निर्मित इस बंगले का स्वामित्व लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास था। इसमें पांच बेडरूम और एक अलग कार्यालय स्थान था। 2015 में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ इस बंगले में रहने चले गए।

