Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुके हैं, लेकिन एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में अब तक सीटों के बंटवारे पर बात पूरी तरह से नहीं बन पाई है। सभी सहयोगी दलों से बातचीत जारी है, और खबर है कि ज़्यादातर दलों की सीटें तय हो गई हैं, लेकिन चिराग पासवान की पार्टी – लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अभी भी बातचीत में अटकी हुई है।
अब चिराग पासवान के तेवर और बयान ऐसे हैं, जो एनडीए के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं।
चिराग पासवान की सीटों की मांग
सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान ने एनडीए से 40 से 45 सीटों की मांग की है। लेकिन बीजेपी के सामने दिक्कत यह है कि सारे सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना है, इसलिए चिराग को 25 से 28 सीटें ही दी जा सकती हैं।
यहीं से मामला फंसा हुआ है। चिराग इस प्रस्ताव से खुश नहीं हैं। और अब सवाल उठ रहा है – क्या चिराग एनडीए को झटका देने के मूड में हैं?
सोशल मीडिया पर चिराग का इशारा
चिराग पासवान ने हाल ही में अपने एक्स (Twitter) पोस्ट में पिता रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि दी, उनकी पुण्यतिथि पर। लेकिन साथ ही कुछ ऐसी लाइनें भी लिखीं, जो सीधा संदेश देती हैं कि वो किसी दबाव में नहीं आने वाले।
उन्होंने लिखा “पापा हमेशा कहा करते थे – जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो। कदम-कदम पर लड़ना सीखो।”
राजनीति के जानकार इस पोस्ट को एक संकेत मान रहे हैं कि चिराग एनडीए से अलग रास्ता भी चुन सकते हैं, खासतौर पर नीतीश कुमार की जेडीयू को टक्कर देने के लिए।
2020 वाला इतिहास दोहराएंगे?
याद दिला दें कि साल 2020 में चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ा था, और जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया था। उस समय भी चिराग एनडीए का हिस्सा थे, लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए थे।
अब जब उन्होंने एक बार फिर अपने बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट में “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का नारा दोहराया है, तो यह माना जा रहा है कि वो फिर से उसी रणनीति पर काम कर सकते हैं।
प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं चिराग?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चिराग पासवान प्रेशर पॉलिटिक्स खेल रहे हैं – यानी दबाव बनाकर एनडीए से ज्यादा सीटें हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी चिराग से मिलने पहुंचे, लेकिन जब मीडिया ने चिराग से बात करनी चाही तो उनका फोन बंद मिला।
यानी सब कुछ सामने से साफ नहीं कहा जा रहा, लेकिन संकेत लगातार मिल रहे हैं।
क्या कहा चिराग पासवान ने?
चिराग पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा “अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य को मैंने कभी टूटने नहीं दिया। 2020 में जब हालात कठिन थे, तब भी अकेले चुनाव लड़ा। जो भी नतीजे आए, उन्हें सिर आंखों पर रखा। ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की सोच को लगातार आगे बढ़ा रहा हूं।”
क्या एनडीए में दरार पड़ेगी?
फिलहाल चिराग पासवान ने खुलकर यह नहीं कहा है कि वो एनडीए से अलग हो जाएंगे या अकेले चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जिस तरह से वो बयान दे रहे हैं और सीटों की मांग पर अड़े हैं, उससे एनडीए के लिए परेशानी बढ़ती दिख रही है।
अब देखना ये होगा कि बीजेपी चिराग को कितनी सीटें देती है, और अगर बात नहीं बनी, तो क्या चिराग 2020 वाला इतिहास दोहराएंगे?
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