Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 57 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि इस बार पार्टी ने एक भी मुस्लिम चेहरे को टिकट नहीं दिया है, जबकि चार महिलाओं को मौका मिला है। जेडीयू की इस लिस्ट को जातीय संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
लव-कुश वोटर्स पर खास नजर
जेडीयू ने इस बार कोइरी और कुर्मी (यानी लव-कुश) वोटर्स को साधने की रणनीति अपनाई है। लिस्ट में 21 से ज़्यादा उम्मीदवार इन्हीं समुदायों से आते हैं। वहीं, मुस्लिम समुदाय को पूरी तरह बाहर रखा गया है।
महिला उम्मीदवारों में शामिल हैं:
- मधेपुरा से कविता साहा
- गायघाट से कोमल सिंह
- समस्तीपुर से अश्वमेघ देवी
- विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा
कई बड़े चेहरों को फिर मौका
- विजय चौधरी – सरायरंजन
- श्रवण कुमार – नालंदा
- सुनील कुमार – भोरे
- महेश्वर हजारी – कल्याणपुर (टिकट कटने की अटकलें झूठी साबित हुईं)
इसके अलावा बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव को भी पार्टी ने फिर से मैदान में उतारा है।
बाहुबलियों को भी टिकट
जेडीयू की लिस्ट में तीन बाहुबली नेताओं को भी शामिल किया गया है:
- मोकामा से अनंत सिंह
- एकमा से धुमल सिंह
- कुचाएकोट से अमरेंद्र पांडे
इन तीनों का अपने इलाकों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। अनंत सिंह ने तो 14 अक्टूबर को ही नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
नए और पुराने चेहरों का मिला-जुला मिश्रण
- 27 नई चेहरों को मौका
- 11 ऐसे उम्मीदवार जिन्हें पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था
- 18 वर्तमान विधायक दोबारा मैदान में
- 2 विधायकों के टिकट काटे गए हैं
चिराग पासवान की चुनौती वाली सीटों पर भी दांव
जेडीयू ने उन पांच सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिन पर चिराग पासवान ने दावा किया था:
- सोनबरसा
- अलौली
- राजगीर
- एकमा
- मोरवा
मुस्लिम उम्मीदवारों की पूरी तरह छुट्टी
2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने तीन मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा था:
- डुमरांव से अंजुम आरा
- दरभंगा ग्रामीण से फराज फातमी
- कांटी से मोहम्मद जमाल
लेकिन इस बार इन सभी सीटों पर हिंदू उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है:
- डुमरांव से राहुल सिंह
- दरभंगा ग्रामीण से ईश्वर मंडल
- कांटी से अजीत कुमार
क्या संकेत दे रही है लिस्ट?
जेडीयू की पहली लिस्ट ये साफ इशारा करती है कि पार्टी इस बार लव-कुश वोट बैंक पर पूरी तरह फोकस कर रही है। वहीं, मुस्लिम वोटर्स को दरकिनार करना एक बड़ी राजनीतिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
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