Bihar case: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पटना के मोकामा में जन सुराज पार्टी के नेता दुलारचंद यादव की हत्या ने बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। इस केस में अब तक तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और दुलारचंद के पोते की एफआईआर की कहानी आपस में नहीं मिल रही।
तीन एफआईआर, तीन कहानियां
पहली एफआईआर (नंबर 110/25) दुलारचंद यादव के पोते नीरज कुमार ने दर्ज कराई है। इसमें उन्होंने मोकामा के बाहुबली और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह समेत पांच लोगों राजवीर सिंह, कर्मवीर सिंह, छोटन सिंह और कंजम सिंह पर हत्या का आरोप लगाया है।
नीरज का कहना है कि वह अपने दादा और जन सुराज पार्टी प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के साथ प्रचार कर रहे थे, तभी अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और गाली-गलौज करने लगे। इसी दौरान, नीरज के मुताबिक, अनंत सिंह ने पिस्टल निकालकर दुलारचंद के पैर में गोली मारी। गोली लगने के बाद दुलारचंद गिर गए, और फिर छोटन व कंजम सिंह ने अपनी थार गाड़ी से उन्हें कुचल दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
इस एफआईआर में बीएनएस की धारा 103, 3(5), 27 और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अनंत सिंह की ओर से भी एफआईआर
इसके जवाब में अनंत सिंह के समर्थक जीतेंद्र ने भी दूसरी एफआईआर (नंबर 111/25) दर्ज कराई है। इस बार आरोप जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी और उनके साथियों लखन महतो, बाजो महतो, ईश्वर महतो, अजय महतो और अन्य पर लगाया गया है।
इसमें कहा गया है कि हमला पहले जन सुराज समर्थकों ने किया था। आरोपियों पर बीएनएस की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नया मोड़
अब मामला उस वक्त उलझ गया जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट के मुताबिक, दुलारचंद यादव के पैर में गोली तो लगी थी, लेकिन वह घातक नहीं थी।
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि दुलारचंद की मौत गोली से नहीं हुई, यानी गोली जानलेवा नहीं थी।
पुलिस की जांच और गिरफ्तारियां
पटना (ग्रामीण) के एसपी विक्रम सिहाग ने बताया कि तीन एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में भी यह साफ हुआ है कि दुलारचंद यादव की मौत गोली से नहीं हुई, हालांकि बाकी कारणों की जांच चल रही है।
मेल नहीं खा रही रिपोर्ट
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वीडियो फुटेज के बाद अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या दुलारचंद यादव के पोते नीरज ने जो कहा, वह पूरी तरह सच है?
क्योंकि एफआईआर में जो कहानी दर्ज है, वह मेडिकल रिपोर्ट से मेल नहीं खा रही।
फिलहाल पुलिस तीनों एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का मिलान कर रही है। आने वाले दिनों में ये केस बिहार की राजनीति में और भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।

