Bihar Assembly Election 2025: बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। पहले चरण की वोटिंग खत्म हो चुकी है और इस बार वोटिंग का जोश पिछले कई चुनावों से कहीं ज़्यादा दिखा। 18 जिलों की 121 सीटों पर करीब 65% वोटिंग हुई, यानी बिहार ने इस बार इतिहास बना दिया। इतना उत्साह देखकर चुनाव आयोग भी खुश है और उम्मीद कर रहा है कि दूसरे चरण में भी यही जोश बना रहेगा।
अब जबकि पहले चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है, बाकी 122 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होना बाकी है। पहले चरण में 1,314 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है। तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है।
60% से ज्यादा वोटिंग, क्या होगा RJD का फायदा?
बिहार के चुनावी इतिहास पर अगर नज़र डालें, तो एक बात साफ दिखती है जब भी राज्य में वोटिंग 60% से ऊपर गई है, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) या उससे पहले की उसकी पार्टी जनता दल सत्ता में आई है।
• 1985 में 56% वोटिंग के साथ कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी।
• 1990 में पहली बार 60% से ज्यादा (62.04%) वोट पड़े और उसी साल लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने।
• 1995 में फिर 61.79% वोटिंग हुई और जनता दल यानी लालू की पार्टी दोबारा सत्ता में लौटी।
• 2000 में 62.57% वोटिंग हुई — उस समय लालू की जगह राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं।
यानि साफ है कि बिहार में 60% से ऊपर वोटिंग का मतलब RJD की वापसी का संकेत माना जाता रहा है।
2005 के बाद वोटिंग में आई गिरावट
• 2000 के बाद बिहार का बंटवारा हुआ और झारखंड अलग राज्य बना। इसके बाद वोटिंग का ग्राफ अचानक गिरा।
• 2005 के चुनाव में सिर्फ 46.50% वोटिंग हुई। लोगों में सरकारों को लेकर नाराज़गी थी, पलायन बढ़ा, और भ्रष्टाचार ने जनता का भरोसा तोड़ दिया।
• इसका असर यह हुआ कि लालू-राबड़ी का दौर खत्म होने लगा और नीतीश कुमार का युग शुरू हुआ।
नीतीश के दौर में वोटिंग 60% पार नहीं कर पाई
नीतीश कुमार ने सुशासन के नाम पर सरकार चलाई, लेकिन जनता का जोश वोटिंग के वक्त उतना नहीं दिखा।
• 2010 में वोटिंग सिर्फ 52.73% रही।
• 2015 में RJD के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़े तो वोटिंग कुछ बढ़कर 56.91% हुई।
• 2020 में वोटिंग 57.29% रही — यानी अब भी 60% का आंकड़ा पार नहीं हुआ।
इस बार के रुझान क्या कहते हैं?
अब 2025 में फिर से 65% वोटिंग देखकर सभी पार्टियां इसे अपने लिए शुभ मान रही हैं। लेकिन इतिहास कहता है कि 60% से ऊपर वोटिंग होने पर फायदा RJD को मिलता रहा है। अगर यह ट्रेंड इस बार भी सही निकला, तो तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुल सकता है — और नीतीश कुमार का दो दशक पुराना दौर शायद इतिहास बन जाए।
हालांकि, अभी खेल खत्म नहीं हुआ है। दूसरा चरण और मतगणना बाकी है। लेकिन इतना तो तय है कि इस बार बिहार के मतदाताओं ने पूरे जोश के साथ लोकतंत्र का जश्न मनाया है और इसका असर राज्य की सियासत पर गहराई से दिखेगा।

