Aaj Ka Panchang: 4 जुलाई 2024 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि सुबह 05:54 बजे तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि रहेगी। इस दिन मृगशीर्ष नक्षत्र के साथ-साथ गंड और वृद्धि योग का संयोग भी रहेगा। शुभ समय के लिए अभिजीत मुहूर्त गुरुवार को दोपहर 12:01 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक है, जबकि राहुकाल दोपहर 02:09 बजे से दोपहर 03:53 बजे तक रहेगा। चंद्रमा मिथुन राशि में रहेगा।
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक भारतीय कैलेंडर है जो समय की सटीक गणना प्रदान करता है। इसमें पाँच मुख्य तत्व शामिल हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण। यहाँ, हम शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, हिंदू महीने और बहुत कुछ के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। 4 जुलाई, 2024 के लिए मुख्य पंचांग विवरण:
- तिथि: त्रयोदशी (05:54 AM तक), उसके बाद चतुर्दशी
- नक्षत्र: मृगशीर्ष (5 जुलाई को 03:54 AM तक)
- पहला करण: वणिज (05:54 AM तक)
- दूसरा करण: विष्टि (05:23 PM तक)
- तीसरा करण: शकुनि (5 जुलाई को 04:58 AM तक)
- पक्ष: कृष्ण पक्ष
- दिन: गुरुवार
- योग: गंड (06:59 AM तक), उसके बाद वृद्धि (5 जुलाई को 05:13 AM तक)
- सूर्योदय: 05:29 AM
- सूर्यास्त: 07:21 PM
- मिथुन राशि में चंद्रमा: 03:58 PM तक
- राहुकाल: 02:09 PM – 03:53 PM
- विक्रम संवत: 2081
- शक संवत: 1944
- माह: आषाढ़
- शुभ समय (अभिजीत मुहूर्त): 12:01 PM – 12:49 PM
पंचांग के पाँच तत्व
तिथि: हिंदू समय गणना के अनुसार, सूर्य के देशांतर से चंद्रमा के देशांतर में 12 डिग्री की वृद्धि होने में लगने वाले समय को तिथि कहा जाता है। एक महीने में 30 तिथियाँ होती हैं, जिन्हें दो पक्षों में विभाजित किया जाता है: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। – तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।
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नक्षत्र: आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल 27 नक्षत्र हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामी माना जाता है।
नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वा आषाढ़, उत्तरा आषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती।
वार: सप्ताह में सात दिन होते हैं, जिनका नाम ग्रहों के नाम पर रखा गया है: सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार।
योग: नक्षत्रों की तरह योग भी 27 हैं। सूर्य और चंद्रमा की विशिष्ट दूरी पर स्थितियाँ इन योगों का निर्माण करती हैं। –
योगों के नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वरियान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्मा, इन्द्र और वैधृति।
करण: प्रत्येक तिथि को दो करण में विभाजित किया गया है, एक प्रथम भाग के लिए तथा एक द्वितीय भाग के लिए। कुल 11 करण हैं। –
करणों के नाम: बव, बलव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पद, नाग और किम्स्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा के नाम से भी जाना जाता है, जिसके दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

