देश में इन दिनों माहौल काफी गरमाया हुआ है। साल 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा और विपक्ष में पहले से ही जबरदस्त जंग छिड़ी पड़ी है। अब राजस्थान की सियासत में अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आपसी तनातनी शुरू हो चुकी है। पायलट ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 11 अप्रैल को 11 बजे एक दिन शहीद स्मारक पर अनशन पर बैठेंगे। यह अनशन भले ही अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने के खिलाफ हो लेकिन यहां से एक संदेश को देने की तैयारी है।
अब आप ने ये बात तो सुनी होगी कि दो आपसी लोंगो के बीच की लड़ाई तीसरे को फायदा पहुंचाने की वजह बन जाती है। ठीक ऐसा ही हो रहा राजस्थान की सियासत में कांग्रेस के आपसी तनातनी यानि गहलोत और सचिन पायलट की आपसी खींचातनी में भाजपा इसका जमकर फायदा उठाने में लगी हुई है। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने को हैं और चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में सबकुछ सही नहीं लग रहा है।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच एक बार फिर गतिरोध दिखाई दे रहा है। ऐसे में फायदा हो रहा है विपक्ष में बैठी बीजेपी को। कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान को लेकर बीजेपी अपनी पैनी नजर बनाते हुए अपना सिक्का राजस्थान में अजमाने में के लिए कोशिश में लगी हुई है। सचिन पायलट का 11 अप्रैल का ये अनशन एक राजनीतिक क्रांति का जन्म बताया जा रहा है क्योंकि समाज के लिए क्रांतिकारी ज्योतिबाफुले ने भी इस तरह से अनशन किया था तो ऐसे में अब पायलट के इस क्रांति अनशन पर लोंगो की नजरें टिकने वाली है।
सचिन पायलट इस अनशन से राजस्थान, मध्य प्रदेश के दलित मतदाताओं को अपनी ओर साध सकते हैं। राजस्थान में दलित मतदाताओं को लेकर भाजपा और बसपा के बीच एक तरह से प्लानिंग चल रही है, लेकिन अब सचिन पायलट इस अनशन के माध्यम से एक बड़ा सन्देश देने की तैयारी में हैं।