महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उठा पटक चल रही है। शिवसेना के टूटने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति काफी बदल गयी है। बता दें कि शिवसेना दो गुटों में बंट गई है। एक गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे तो दूसरी गुट का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहें हैं।
शिंदे गुट अभी उद्धव गुट पर काफी भारी पड़ रहा है। शिंदे गुट लगातार उद्धव गुट को झटका पर झटका दिए जा रहा है। अभी हाल ही में चुनाव आयोग से शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिला है। शिंदे गुट लगातार शिवसेना की संपत्तियों पर कब्जा जमा रहा है।
उद्धव ठाकरे की परेशानी अभी यही खत्म नहीं हुई है। अब संसद भवन में शिवसेना को आवंटित कार्यालय भी एकनाथ शिंदे गुट को मिल गया है। लोकसभा सचिवालय ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना कार्यालय आवंटित करने का आदेश दिया है। सचिवालय ने अपने आदेश में कहा है कि संसद भवन का कमरा नंबर 128 शिवसेना संसदीय पार्टी को बतौर कार्यालय आवंटित किया जाता है।
बता दें कि इससे पूर्व महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना को आवंटित कार्यालय भी शिंदे गुट को हाल ही में मिला है। शिंदे गुट को चुनाव आयोग से जीत मिलने के बाद अब उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब शिवसेना भवन और शिवसेना की शाखाओं पर दोनों गुट के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हुआ है। वहीं उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने बड़ा आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के फैसले के पीछे 2000 करोड़ रुपये की डील है।
संजय राउत पागल आदमी
हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यंत्री एकनाथ शिंदे ने संजय राउत के इस आरोप को बेबुनियाद बताया और कहा कि संजय राउत पागल आदमी हैं। हालांकि बीते सोमवार को एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह मुंबई स्थित शिवसेना भवन और उद्धव ठाकरे गुट की अन्य संपत्तियों पर दावा नहीं करेंगे। शिंदे ने कहा था कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह उन्हें योग्यता के आधार पर दिया गया है।
इसके अलावा सीएम शिंदे ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा हमारी संपत्ति है। हम दूसरों की संपत्ति पर नजर नहीं रखते। सीएम शिंदे ने कहा कि करीब 76 फीसदी निर्वाचित सदस्य हमें समर्थन दे रहे हैं। हमारे पास नाम और चुनाव चिन्ह भी है। अगर चुनाव आयोग विपक्षी गुट को नाम और चुनाव चिन्ह देने का आदेश देता तो भी वह कोई सवाल नहीं उठाते।

